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से चले गए, किसी ने आत्महत्या किया क्या ? सोनिया गांधी प्रधानमंत्री नहीं बनी फिर भी किसी ने आत्महत्या किया क्या ? राजनीति में चेहरे कुछ होते हैं मुखोटे कुछ होते . हैं। इतने सारे उदाहरण में आपको दे रहा हूँ। एक ही बात समझाने के लिए, मुखोटे कुछ होते हैं चेहरे कुछ होते हैं। बिलकुल जरुरी नहीं है कि कोई बात जो कह दी है उन्होंने पब्लिकली, तो वो टिकेंगे। क्योंकि हिन्दुस्तान की राजनीति का यही सबसे बड़ा दुर्गुण हैं। एक दिन बोलना, अरे मुझे तो गलत कह दिया है अखबार वालों ने अखबार वाले सुना देगे - देखो आपने बोला है। हाँ-हाँ, बोला है तुमने गलत अर्थ निकाल लिया इसका। अब कितने अर्थ होते हैं किसी शब्द के, यह पॉलटिशयन से आप पूँछे । यह जो बीमारी है ना भारत में नेहरूजी के समय से हैं। आज की नहीं है। मैं आपको यह समझाना चाहता हूँ और चूंकि यह बीमारी उस जमाने से है इसलिए गौरक्षा का कानून आज तक बना नहीं है इस देश में। जब-जब संसद में कोशिश हुई कुछ ना कुछ अडंगा इसी तरह का ।
एक और उदाहरण देता हूँ। 1966 में आप में से कुछ लोग होंगे। मैं तो पैदा भी नहीं हुआ था। जिस समय की यह घटना है भारत के हजारों संतो ने एक बहुत बड़ा जुलूस निकाला दिल्ली में । गाय रक्षा होनी चाहिए, कानून बनना चाहिए। गांधीजी तो तब थे नहीं, विनोबाजी थे गांधीजी के शिष्य थे। उनका आशिर्वाद लेके बहुत बड़े-बड़े साधु संत एकठ्ठे हुए। स्वामी करपात्रीजी महाराज जो शंकराचार्य की स्थिति वाले संत हैं। उन्होंने लीडर शिप लिया, गौरक्षा होनी ही चाहिए। लाखों साधू-संत एकठ्ठे हुए और उन्होंने कहा कि हम संसद को घेर लेंगे अगर सरकार गौरक्षा का कानून पारित नहीं करती। सौभाग्य या दुर्भाग्य जो भी कहिए स्वामी करपात्रीजी महाराज के आर्शिर्वाद
श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बन गई थी तो स्वामी करपात्रीजी को लगता है इसको तो आर्शिर्वाद मैंने दिया है अब यह कैसे मना करेगी मेरे काम को । स्वामीजी को मालूम नहीं था। आपको मालूम है इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री बनीं थी तो उनकी पॉलिटीकल पोजीशन बहुत कमजोर थी। उनके सामने जो टक्कर में थे ना वो बहुत पावरफुल लीडर थे निजिलिंग गप्पा । बहुत पावरफुल आदमी थे पूरा दक्षिण भारत उनके समर्थन में खड़ा था और तय था कि ये प्राईममिनिस्टर बनेगे । निजलिंगअप्पा को अडंगे लगाकर श्रीमती गांधी प्रधानमंत्री बनी थी। तो बहुत सारे संतो से आर्शीर्वाद लिया था। तो करपात्रीजी ने भी दे दिया, विनोबाजी ने भी दे दिया। अब प्रधानमंत्री बनते ही याद दिलाया विनोबाजी ने वो काम करो ना मेरा, गौ-हत्या बंद करने के लिए कानून लाओ । तो कहा बाबा अभी थोड़े दिन संभालने तो दो । बाबा ने कहा कितना दिन लगेगा संभालने में। तो दिन बीतते गए और करपात्रीजी महाराज का धैर्य चूक गया तो उन्होंने बहुत बड़ा जुलूस निकाल दिया। सरकार को घेरना हैं, संसद को बंद कर देना है। कोई अंदर जायेगा नहीं, कोई बाहर आयेगा नहीं। जब तक गौ-हत्या बंद नहीं होती आप जानते हैं क्या हुआ,
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा