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________________ अंग्रेजों की फौज, अंग्रेजों की फौज के सिपाईयों को दिया जाने लगा। तो धीरे-धीरे नतीजा क्या निकलने लगा कि गाय की संख्या कम होती चली गयी। गौवंश का नाश शुरु हो गया। अंग्रेजों की सरकार को पता चला कि गोवंश का अगर नाश करना है तो गाय का नाश करने से ज्यादा जरुरी है नंदी का नाश किया जाये । मूल का नाश किया जाये। अंग्रेजों का एक अधिकारी था उस अधिकारी ने इस बात को अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि हम गाय का कत्ल करते रहे और गाय को मरवाते रहे। तो गाय पैदा होती रहेगी। उससे ज्यादा अच्छा यह है कि गाय जिस तरीके से पैदा होती है उसके लिये जो सबसे महत्त्वपूर्ण है नंदी। जिसको हम कहते है 'बुल'। उसको मरवाना चाहिये। अगर नंदी का कत्ल होगा, अगर बुल नहीं रहेगा भारतीय समाज में तो गाय की पैदाईश में कमी हो जायेगी। यह बात जब अंग्रेजों को पता चल गयी । तो उन्होंने फिर गाय से ज्यादा नंदी का कत्ल करवाना शुरु किया। और एक विशेष दृष्टि से इस देश में अंग्रेजों ने विशेष कत्ल कारखाने खोले । जिन में सिर्फ नंदिओं का कत्ल हो सिर्फ बुल को काटा जाये। एक तरफ गाय का कत्ले आम । दूसरी तरफ बुल का कत्ले आम और इस तरह तीसरे हिस्से में गोवंश का कत्ले आम भी हिन्दुस्तान में बहुत बड़े पैमाने पर शुरु हो गया। 1850 के आसपास हिन्दुस्तान में गाय के कत्ल के प्रश्न को हिन्दुस्तान के बहुत सारे धर्मगुरुओं ने उठाना शुरु किया । उसमें आर्य समाज के लोग थे। उसमें सिख पंथ के बहुत सारे लोग थे । उसमें हिन्दु धर्म की बहुत सारे तथा दूसरे मजहबों के हिन्दु धर्म के मानने वाले बहुत सारे जो संप्रदाय हैं, जो अलग-अलग मत हैं, उसके लोग भी थे। उन्होंने गाय के प्रश्न को मुद्दा बनाया। अंग्रेजों ने उस गाय के प्रश्न को हिन्दुस्तान की अस्मिता के साथ जोड कर यह भी कहना शुरु कर दिया कि गाय काटी जाये, बुल काटा जाये तो हिन्दुस्तान की अस्मिता भी खत्म होती चली जायेगी। तो फिर गाय का कत्ल 1850 के बाद अंग्रेजों ने इसलिए शुरु कराया ताकि हिन्दुस्तान की जनता को नीचा दिखाना था। पहले गाय और बुल का, नंदी का कत्ल भी करवाया गया कि हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करवाना है कृषि को बर्बाद करना है । . दूसरे बार में अंग्रेजों ने यह इसलिए शुरु करवाया कि हिन्दुस्तान की जनता को मानसिक ठेस पहुँचानी है। उनकी भावनाओं को तोडना है। तो भारतीय जनता की भावनाओं को तोडने के लिये; भारतीय जनता की भावनाओं को ठेस पहुचाने के लिये एक बड़े पैमाने पर कत्ल कारखानों की शुरुवात की गयी। अंग्रेजों के जमाने के दस्तावेज बताते हैं कि अंग्रेजों की सरकार ने पुरे हिन्दुस्तान में कुछ ऐसे 350 कत्ल कारखाने खुलवाये। जिनमें गोवंश का नाश होता था। अंग्रेजों के जमाने के कुछ दस्तावेज बताते हैं कि गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 13
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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