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विशेष : मूत्र संस्थान में किसी भी प्रकार का व्रण या संक्रमण हो तो उसमें गौमूत्र अत्यन्त लाभकारी है। 5. मूत्र कृच्छ /मूत्राघात (मूत्र रूक-रूककर होना या न होना) ... 1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। .
या पुनर्नवादि अर्क और पुनर्नवादि वटी का सेवन करें। 2. गाय के दूध में समान मात्रा में पानी मिलाकर उबालें। मिश्री मिलाकर जौ की रोटी (दलिया) या चावल के साथ लें। अपथ्य : पित्त बढ़ानेवाले पदार्थ जैसे, तली चीजें, गरम मसालें, आलू, बैंगन, लहसुन, खटाई, फ्रिज की चीजें। . , . पथ्य : पपीता विशेष : शरीर से पसीना निकलता हो तो उसे तेज पंखा चलाकर रोके नहीं!
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गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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