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________________ 1. गौमय धूप की राख को कटी हुई त्वचा पर लगायें। घाव शीघ्र भरेगा। 2. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। . या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 3. दूध में हल्दी उबालकर घी डालकर पीयें। अपथ्य : साबुन, खटाई, खमीरवाली चीजें। विशेष : त्वचा के कटते ही तुरन्त गर्म पानी पीयें। 17. त्वचा का फटना 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. दूध में घी डालकर पीयें। घी का प्रयोग अधिक करें। 3. नाक में घी डालें। 4. केवल जहाँ त्वचा फटी है वहाँ ही नहीं बल्कि पूरे शरीर पर तिल या सरसों का . (गर्मियों में नारियल का) तेल लगायें, हल्की मालिश करें। 5. साबुन का प्रयोग ना करें। अंगराग चूर्ण + कच्चा दूध या दही से स्नान करें। अपथ्य : रूखा आहार, बासी भोजन, आलू, प्याज, पथ्य : आंवला, नींबू, शहद विशेष : त्वचा का फटना, वात के बढ़ने के कारण होता है, अत: केवल फटी हुई जगह का उपचार न कर, पूरे शरीर का उपचार करना चाहिए। 18. त्वचा की एलर्जी त्वचा को पूरा पोषण न मिलने से या त्वचा के किसी विजातीय तत्व के संपर्क में रहने से उसमें किसी विशेष चीज (धूप, धूल, हवा, पानी), के प्रति विकर्षण (एलर्जी) . पैदा हो जाती है। 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। . 2. दूध में हल्दी उबालकर घी डालकर पीयें। गौमाता पंचगव्य चिकित्सा ...... ... . . . .............।
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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