________________
3. वायबिडंग आदि से बनी गौमूत्र कृमिनाशक वटी का सुबह शाम 15 दिन तक सेवन करें। 4. सुबह खाली पेट 3 दिन तक 10 ग्राम गुड़ खाकर आधे घंटे बाद 3 ग्राम अजवायन का चूर्ण खायें। 5. 10 ग्राम गुड़ व 5 ग्राम कच्ची हल्दी का सुबह खाली पेट 3 दिन तक सेवन करें। • अपथ्य : मिठाई, मैदा, बेसन, दूध, हरी सब्जियाँ पथ्य : कड़वी, तीखी, कसैली चीजें, सभी मसाले हींग, हल्दी, मेथी, बिना बीज की लाल मिर्च
8. उदर रोग (पेट के रोग) 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (विसक) कर छानकर पीयें।
या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. प्रतिदिन छाछ या गौतक्रासव या गौ तक्रारिष्ट का सेवन करें। 3. गौमूत्र हरड़े चूर्ण का प्रयोग करें 4. त्रिफलादि घृत का प्रयोग करें। 5. प्रतिदिन छिलके सहित कच्ची लौंकी का एक गिलास रस निकालकर 5 काली मिर्च । + 5 तुलसी के पत्ते + पौदीने के पत्ते घोंटकर मिलायें। स्वाद के अनुसार अदरक व सेंधा नमक मिलाकर पीयें। अपथ्य : तली चीजें, बेसन, मैदा, मिठाई, गरिष्ठ आहार, भोजन में अनियमितता, भोजन कर तुरन्त सोना, बाजार का खाना, फ्रिज की चीजें पथ्य : सुपाँचय आहार विशेष : भोजन के तुरन्त बाद गर्म पानी पीयें।
.. 9. गैस 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ । परत (विसक) कर छानकर पीयें।
.. या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. प्रतिदिन भोजन के साथ या बाद में गौमूत्र हरड़े चूर्ण का सेवन करें। . . 3. दूध में अदरक या सोंठ उबालकर घी डालकर पीयें। 4. गैस से पीड़ित अंग पर गौमय वातनाशक तेल लगाकर गर्म कपड़े से ढककर रखें
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
-
99