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भामाशाह
लिये कुछ मिष्टान्न और शाक आदि बनाने का आदेश राज-पाचक को दे ही दिया होगा ?
अमरसिंह-हां, यह मैं उससे कह चुका हूं। अभी जाकर पुनः सावधान किये देता हूं।
भामाशाह-अवश्य सावधान कीजिये, कारण भोजन के समय महाराणा के न रहने से मानसिंह का हृदय योंही जल उठेगा, इसपर भी अव्यवस्था देख उनका क्रोध सीमा का उल्लंघन कर जायेगा।
अमरसिंह ---इसमें कोई सन्देह नहीं । और क्या व्यवस्था करनी है ?
भामाशाह-मेवे भंडार-गृह में हैं ही, ऋतु-सुलभ फल अवश्य अपेक्षित हैं पर वे कल ही उद्यान से मंगाये जा सकते हैं।
अमरसिंह-और क्या सामग्री आवश्यक होगी ?
भामाशाह-सब बतला रहा हूं । भोजन परोसने के लिये वृहत् स्वर्णथाल, शाकादि के लिये रजत-चषक और फलों के लिये मणि-तारों की इलिया भी अपेक्षित होगी।
अमरसिंह-यह सब सामग्री भण्डार-गृह से निकलवा लूंगा, बस अब चलं न ?
भामाशाह-चलिये, मैं भी चलता हूं। कल प्रभात में कुछ शीघ्र यहां उपस्थित हो जायेंगे। ( गमन )
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