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________________ भामाशाह द्वितीय-तभी तो झालौर राव इस अन्याय का प्रतिकार करने पर तुले हैं और उनका मनोरथ भी निष्फल न होगा। कारण प्रधान सामन्त चन्दावत कृष्णा भी उन्हीं के पक्ष में हैं। तृतीय-पर मृत राणा की अन्तिम इच्छा को ठुकरा कर कौन जगमल को सिंहासन से च्युत करेगा ? चतुर्थ-उसे सिंहासन से च्युत करना कोई कठिन नहीं, सामन्त शेखर कृष्ण के लिये यह शिशु-क्रीड़ा तुल्य है। पंचम-इसके अतिरिक्त सामन्तों में से कोई जगमल का पक्षपाती नहीं, सभी प्रताप को सिंहासनारूढ़ देखने को लालायित हैं। प्रथम-प्रताप के गुणों का प्रताप ही ऐसा है, जो उसे सिंहासन का अधिकारी घोषित करता है। द्वितीय-( चिता की ओर देख कर ) अब राणा का शव भस्मप्राय है, अतः नगर की ओर चलना चाहिये । तृतीय-( उत्सुकता से ) चलिये, चल कर तिरस्कृत जगमल को मलीन और प्रताप को सिंहासनासीन देखें। सबका प्रस्थान) पटाक्षेप
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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