________________
AAR
सम्पत्तिदान-यज्ञ का प्रथमेन्त पुस्तक-संग्रह
भामाशाह [ ऐतिहासिक नाटक]
काश! हम भामाशाह के इस देवोपम त्याग से शतांश भी शिक्षा ग्रहण कर सकते तो आज भामाशाह के । भारत के सन्त विनोबा को भूदान और सम्पत्तिदान के लिये ग्राम-ग्राम की पैदल यात्रा न करनी पड़ती।
-'सुधेश'
नाटककार :धन्यकुमार, जैन 'सुधेश' ।
नागौद (वि० प्र०)
प्रथमावृत्ति ]
'जुलाई १६५६
[ मूल्य २)