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________________ भामाशाह मिर्जा खाँ-भामाशाह ! मुझे आपसे ऐसी आशा न थी। आपकी यह उपेक्षा महाराणा के लिये घातक ही सिद्ध होगी, यह भी आपको विचार लेना चाहिये। ___ भामाशाह-विचार लिया है। समुज्ज्वल सिद्धान्तों के लिये इन्द्रका कोप भी घातक नहीं होता। महाराणा का अनन्त आत्मबल आपके सीमित सैन्य-बल से पराजित न होगा। मिर्जा खाँ-यह सब आपकी कल्पना मात्र है। भामाशाह-कल्पना नहीं, सूर्य के अस्तित्व के समान सत्य है। भविष्य स्वयं इसे प्रमाणित कर देगा। अब मैं यहां से बिदा होता हूं। (गमनोद्यत ) मिर्जा खाँ-जाइये, यदि आपकी विचारधारा में परिवर्तन हो, तो निःशङ्क मुझसे मिलकर सूचित कीजिये, मैं यह कार्य सम्पन्न करा दूंगा। भामाशाह -( जाते हुये ) इसकी आशा न करें। दहकते अंगारसे संताप के स्थान पर शीतलता की आशा व्यर्थ है । ( गमन ) पटाक्षेप १२३
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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