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________________ ( २५ ) पनौकसि यदा चन्द्रः शुभखेटविलोकितः । उपायाः सामदण्डाद्याश्वाष्टधापि धिया सह ॥ ११५ ॥ रिप्वोकसि यदा चन्द्रः सौम्यो वा सचनो बलः । रिपणा" वापि प्रेशो रिरोगौ घनौ कुधीः ॥ ११६ ॥ अस्तगेहे चन्द्रशुक्रौ शुभदैरुदितैस्सह । भार्येशो वापि लग्नेशः स्त्रीराज्यं च तदा ध्रुवम् ||११७|| "मृत्यूपेन्द्र यदा मृत्यौ सौम्यो वापि यदोदितः । द्वाविंशतितमे त्र्यंशे तदा मृत्युः स्वयं ध्रुवम् ॥ ११८ ॥ पदस्थाने यदा चन्द्रः शुभो वा सरविर्भवेत् । पादेशो वापि लग्नेशो मुद्राप्राप्तिस्तदेव हि ॥ ११९ ॥ पुण्यहे यदा चन्द्रः सौम्यो' वापि यदोदितः । धर्मेो वापि लग्नेश राज्यप्राप्तिस्तदा ध्रुवम् ॥१२०॥ 3 7 चन्द्र यदि पुत्रस्थान में हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो संतानों के साथ साम-दण्ड आदि सभी उपाय सफल हो जाते हैं ॥११५॥ यदि चन्द्र वा बुध शत्रुस्थान में पुष्ट और बली हो अथवा लग्नेश होकर शत्रु के साथ रहे तो शत्रुभय और रोगभय तथा मनुष्य मूर्ख होता है ।। ११६ ।। चन्द्र और शुक्र सप्तम स्थान में हों, उदित शुभ ग्रहों से देखे जाते हों और वे लग्नेश तथा जायेश होकर रहें तो निश्चय ही स्त्री का प्रभुत्व होता है ॥११७॥ चन्द्र और शुक्र यदि अष्टम स्थान में हों और उदित बुध से युक्त या देखे जायँ तो बाईसवें वर्ष के तीसरे अंश में निश्चय ही मृत्यु होती है ॥ ११८ ॥ चन्द्र अथवा अन्य शुभ ग्रह तृतीय स्थान में सूर्य के साथ हों अथवा तृतीयेश तथा लग्नेश होकर रहें तो रुपयों की प्राप्ति होती है ॥ ११६ ॥ चन्द्र वा बुध पुण्यस्थान में हों अथवा वे धर्मेश वा लग्नेश होकर रहें वो निश्चय ही राज्यप्राप्ति होती हैं ||१२०|| 1. सबलाधनt for सनो बलः Bh. 2. Bh. 3. स्रुत्यु for मृत्यु A. 4. सौम्यो वापि A 5 शुभ वाथवा for पदेशो वापि 6. सोमो for सौम्यो A., साम 17. रिपुयो for रिपुव्या भवेत for शुभ बा पदेशा नापि Bh. for दोटितः A.
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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