________________
क्षमा चाहता हूँ तथा चोरासी लाख जीव योनि के जीवों की क्षमा चाहता हूँ।
पाँचवें आवश्यक की आज्ञा! राइयं (शाम को देवसियं बोलना) पायच्छित्त विशुद्धनार्थं करेमि काउसग्गं, नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सव्वसाहूणं, एसो पंच नमोक्कारो, सव्व पाव पणासणो, मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवई मंगलं। चार लोगग्स का कायोत्सर्ग करना।
छठे आवश्यक की आज्ञा! शक्ति अनुसार नियम वगेरे प्रत्याख्यान लेना। कोई भी प्रत्याख्यान या पच्चक्खाण संकल्प अनुसार, सीमंधर भगवंत की साक्षी में तीन नमोकार मंत्र गिनके ले सकते हैं। स्वामीनाथ! सामायिक एक, चउवीसत्थो दो और वंदणा तीन, प्रतिक्रमण चार, काउसग्ग पांच और छठे किए पच्चक्खाण। ये छहों आवश्यक पूर्ण हुए उसके विषय में श्री वीतराग देव की आज्ञा में कानो, मात्रा, बिंदी, पद, अक्षर, गाथा, सूत्र, कम, ज्यादा, विपरीत पढ़ा हो तो अरिहंत, अनंत सिद्ध भगवंतों की साक्षी सह तस्स मिच्छामि दुक्कडं!
मिथ्यात्व का प्रतिक्रमण, अव्रत का प्रतिक्रमण, प्रमाद का प्रतिक्रमण, कषाय का प्रतिक्रमण, अशुभ योग का प्रतिक्रमण, ये सब मिल के ब्यासी बोल का प्रतिक्रमण। उसके
सुबह उठकर...* २५