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स्वास्थ्य अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
साथ वीर्य का जाना आदि धातु दोषों को मिटाकर वीर्य को शुद्ध व पुष्ट करता
(180) वीर्य स्तम्भन 1. वीर्य स्तंभन. श्वेतसार पंखा की जड़ को नाभि पर लेप करने से वीर्य स्तंभन होता
2.कमल गट्टे को शहद के साथ पीस कर नाभि पर लेप करने से वीर्य स्खलित नहीं
होता है। 3. वीर्य स्तंभन- धतूरा का बीज पीसकर नाभि पर लेप करने के बाद संबंध बनाने पर
वीर्य स्तम्भन रहता है। 4. वीर्य स्तम्भन- सफेद तालमखाने के बीज बरगद के दूध में पीसकर करंज के बीजों
के बीच में रखकर रति समय मुख में रख लेने से वीर्य स्तम्भन होता है। 5. वीर्य स्तम्भन- रविवार के दिन सतौना का बीज निकाले फिर उस बीज को मुख
में रखकर रति करें तो वीर्य स्तम्भन होता है। 6. शीघ्रपतन- तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खाने से स्तंभन शक्ति बढ़ती है। 7. वीर्य सम्बन्धी रोग- तुलसी की जड़ को पीसकर (चूर्ण )पान में रखकर खाने से
वीर्य पुष्ट हो जाता है, तथा स्तम्भन शक्ति बढ़ती है। 8. जो पुरुष कोंच की जड़ को साथ मिलाकर पीसकर पीवे तो उसका वीर्य अक्षय
होकर वह हजार स्त्रियों की इच्छा करे। 10. आंवले के चूर्ण को गन्ने के रस में भावित करके उसमें शक्कर मिलाकर पिलावें। 11. बिदारीकंद और गोखरू को चूर्ण कर दूध के साथ खाने से जीर्णकाय वाला पुरुष भी
मंदाग्नि को नष्ट कर कामोद्दीपन को प्राप्त होता है। 12. पीपल की जड़, फल, पत्ते और छाल को मिश्री और दूध के साथ पीने से वीर्य
बढ़ता है। 13. धुली हुई उड़द की दाल की पिट्ठी को दूध और घी के साथ पकाकर खाने से कामी
पुरुष सौ स्त्रियों से भी तृप्त नहीं होता। 14. बबूल (कीकर) वृक्ष की चिकनी बक्कल तोड़ लाएँ फिर उसे नींबू के रस में डुबो
दें, एक दिन डूबी रहने दें फिर दूसरे दिन उसी में एक शुद्ध वस्त्र डाल दें, जब वस्त्र उस रस में भीग जाए तो निकाल लें इसका रंग धुआँ सा होगा। फिर गीले वस्त्र
को एक गिलास दूध में डाल कर धो डालें और उसी में उसे निचोड़ दें। अब यह दूध पी जाएँ इससे कुछ दिनों में वीर्य गाढ़ा हो जाएगा और शीघ्र स्खलन होना रूक जाएगा, देह भी पुष्ट हो जाएगी। यदि स्त्री इस गीले वस्त्र को अपने भग में रखेगी
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