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स्वास्थ्य अधिकार
मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
(155) सिर की नँ या लीक १. धतूरे के पत्तों का रस या नागर बेल के पत्तों के रस में पारा मिलाकर बालों पर लेप ___ करने से जूं और लीक रहे भी नहीं और न उत्पन्न होती है।
(156) जानवरों के काटने पर जहर चढ़ने पर उपाय १. धतूरा का विष उतारने के लिए- कपास के पंचांग को पीसकर पीने से फायदा होता
२. मकड़ी फिरने पर- नीम्बू के रस में चूना पीसकर लगावें। अथवा अमचूर पीसकर
लगावें। 3. मकड़ी के विष की चिकित्सा- सफेद दूध और हल्दी पीसकर लेप करें। 4. बन्दर के काटने पर- प्याज पीसकर लेप करने से फायदा होता है। 5. बिल्ली के काटने पर- काले तिल और कलोंजी को पीसकर लेप करने से लाभ
होता है। ६. मूषक विष- सिरस के बीज, नीम के पत्ते, करंज की मिंगी, गौमूत्र में पीसकर लेप करें। ७. जोंक के घाव पर- प्याज और लहसुन पीसकर लगावें। ८. छिपकली का विष नाश करने के लिए- घी या तेल में राख मिला कर मलने से
फायदा होता है। 9. कान खजूरे का विष दूर- कपित्थ वटिका पानी में घिसकर डंक पर लेप करने से कानखजूरे का विष तत्क्षण उतर जाता है।
स्त्री गुप्त रोग चिकित्सा
(157) स्त्री गुप्त रोग 1.स्त्री गुप्त रोग-केला और घी भोजन के पूर्व खाने से स्त्री गुप्त रोग ठीक हो जाता है। 2.माधवी की मूल को जल में पीसकर पान करने से स्त्रियों की कमर पतली हो जाती है।
(158) प्रदर-रोग १. दही, संचर नमक, जीरा,मुलेठी, कमलगट्टा इनके काढ़े में मिश्री डालकर पीने से
वात का प्रदर रोग मिटता है। २. मुलेठी, कमलगट्टा और मिश्री इनको पीसकर चावलों के पानी से लेने से पित्त का
प्रदर रोग मिटता है। ३. डाब की जड़ को पीसकर चावलों के पानी से ३ दिन लेने से प्रदर रोग मिट जाता है।
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