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स्वास्थ्य अधिकार
मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
३. भयंकर कब्ज में १०-१५ मुनक्का दूध में औटकर मुनक्का खाकर दूध में कई दिन
पीने से फायदा होता है। ४. गाय के मढे में अजवाइन और कालानमक मिलाकर खाने से पुरानी कब्ज मिटती है।
(88) मंदाग्नि रोग १. अकरकरा और सोंठ के चूर्ण की फाकी लेने से अजीर्ण और मन्दाग्नि रोग मिटता है। २. शहतूत के शर्बत में पीपल का चूर्ण डालकर पीने से मन्दाग्नि रोग मिटता है। ३. इमली के पंचांग की राख में मिश्री मिलाकर पीने से मन्दाग्नि रोग मिटता है। ४. ३.२ ग्राम सोंठ का क्वाथ पीने से मन्दाग्नि तथा उदर रोग मिटते हैं। ५. नारंगी की फाँक पर सोंठ बुरकाकर खाने से भूख बढ़ती है। ६. पीपल को दूध में औटाकर पीने से भूख बढ़ती है। ७. गुड़ के साथ कालीमिर्च खाने से भूख लगती है। इन्द्रायण की जड़ और पीपल के सेवन करने से भूख बढ़ती है।
(89) अरुचि रोग १. नीम्बू के रस में दूना पानी तथा लौंग व कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से अरुचि
मिटती है। २. अनार के रस में जीरा और शक्कर मिलाकर पीने से अरुचि मिटती है। ३. इमली के पानी के पीने से भूख बढ़ती है और आँतों के घाव मिट जाते हैं। ४. हरड़ की छाल, सोंठ, ६.४-६.४ ग्राम तथा गुड़ २५ ग्राम मिलाकर जल से लेने
आमाजीर्ण मिटे व भूख लगे। ५. अदरक, सेंधानमक, नीम्बू का रस सेवन करने से अजीर्ण मिटता है तथा पेट साफ
रहता है। ६. सेंधानमक, सोंठ कालीमिर्च का चूर्ण ४.८ ग्राम प्रतिदिन गाय की छाछ में १५ दिन
सेवन करने से अजीर्ण, मन्दाग्नि आदि रोग मिटते हैं इससे पांडु रोग भी मिटता है।
(90) पेट का कृमि रोग १. रोजाना भोजन के पहले १.२-१.६ ग्राम नमक फाकने से पेट में कृमि पैदा नहीं होते हैं।
(91) पित्त का अतिसार १. सफेद चन्दन महीन करके ६.४ ग्राम और मिश्री १२.५ ग्राम मिलाकर ८ दिन चाटें तो
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