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________________ चित्रकमूल, रास्ना, मुलेठी, बालवच, पीपल तथा सोंठ एक-एक कर्ष (प्रत्येक 10 ग्राम) का कल्क मिलाकर विधिवत् घृत सिद्ध करें। यह भल्लातक घृत कफज गुल्म को अच्छी तरह दूर करता है। इसके अतिरिक्त प्लीहा रोग, पाण्डूरोग, श्वास ग्रहणी रोग तथा कास (खांसी) को दूर करता है। . . ..सभी गुल्म में स्वेदन विधिततोऽस्य गुल्मेदेहे च समस्ते स्वेदमाचरेत्। ... सर्वत्र गुल्मे प्रथम स्नेहस्वेदोपपादिते।। या क्रिया क्रियते याति सा सिद्धि न विरूक्षिते । अर्थ : पूर्वोक्त घृतों से स्नेहन करने के बाद गुल्म पर तथा समस्त शरीर पर स्वेदन करे। सभी गुल्मों में पहले स्नेहन-स्वेदन करने के बाद जो चिकित्सा की जाती है उससे लाभ होता है और जो विरूक्षित गुल्म में चिकित्सा की जाती है उसमें सफलता नहीं मिलती है। . घटिकायन्त्रप्रयोगः।। - गुल्म में घटिका यन्त्र का प्रयोगस्निग्धस्विन्नशरीरस्य गुल्मे शैथिल्यमागते ।। यथोक्तांधटिकां न्यस्येद् गृहीतेऽपनयेच्च ताम् । वस्त्रान्तरं ततः कृत्वा छित्त्वा गुल्म प्रमाणवित्।। विमार्गाजपदादशैर्यथालामं प्रपीडयेत्।। प्रमज्याद् गुल्ममेवैकं न त्वन्त्रहृदयं स्पृशेत् ।। अर्थ : स्नेहन-स्वेदन द्वारा स्निग्ध एवं स्निन्न शरीर वाले रोगी के गल्म में शिथिलता आ जाने पर यन्त्रादि अध्याय में कहे गये घटिका यन्त्र का प्रयोग करे और घटिका यन्त्र के पकड़ लेने पर उसको हटा दें। इसके बाद उसको वस्त्र के अन्दर कर सूचिका द्वारा छेदन करे। घटिका उचित परिमाण में होना चाहिए जिससे घटिका के मुख में गुल्म आ जाय। इसके बाद विमार्ग (चर्मकार का लकड़ी का बना काष्ठ विशेष), अजपद तथा शीशा जो मिल जाय उससे दबाकर पीड़ित करे और केवल गुल्म को ही मर्दन करे किन्तु आन्त्र एवं हृदय को स्पर्श न करे। कफज गुल्म में स्वेदन औशधतिलैरण्डातसीबीजसर्षपैः परिलिप्य वा।। श्लेष्मगुल्ममयः पात्रैः सुखोष्णः स्वेदयेत्ततः ।। अर्थ : घटिका यन्त्र प्रयोग के बाद कफज गुल्म के ऊपर तिल एरण्ड, तीसी बीज या सरसों के कल्क का लेप लगाकर थोड़ा गरम लोहे के पात्र से स्वेदन करे। . . . . 105 .. .
SR No.009378
Book TitleSwadeshi Chikitsa Part 03 Bimariyo ko Thik Karne ke Aayurvedik Nuskhe 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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