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________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र निभाने वाली होती है। 11. डाकिनी- यह हंसकर बातें करने वाली तथा धोखा देने में चतुर होती है। इसके नेत्र लाल होते हैं। ऊपर से यह बहुत प्यार दिखाती है, पर निकट से यह लालची तथा धोखा देने वाली होती है। इससे प्रेम करना और सांप से प्रेम करना बराबर होता है। इसका पति इसकी बदनामी से हर समय दुखी रहता है। 12. हंसिनी- यह सुखी तथा समझदार होती है। इसकी चाल हंस के समान मनमोहक होती है। यह सत्य बोलने वाली तथा रति के समान सुन्दर होती है। यह मधुर प्रीति करने वाली होती है। ऐसी स्त्रियां सौभाग्यशाली पुरुषों को ही मिलती हैं। 13. बहुबंशिनी- ऐसी स्त्री गेहुएं रंग वाली तथा पूरी तरह से गृहस्थ धर्म को निभाने वाली होती है। यह असत्य नहीं बोलती तथा पति सेवा में ही प्रसन्न रहती है। समाज में इसका सम्मान होता है। 14. कृपणी- ऐसी स्त्री निर्लज्ज, कमजोर शरीर वाली तथा कंजूस होती है। यह थोड़े बहुत रूप में बदनाम होती है तथा किसी से भी किसी भी प्रकार की बात करने में इसको शर्म नहीं आती। यह धन अथवा भोग के लिए किसी भी पुरुष के साथ चरित्र नष्ट करने को तैयार हो जाती है। 15. घातिनी- यह स्त्री चालाक तथा दूसरों को धोखा देने में होशियार होती है। प्रकट में यह प्रेम जताती है, परन्तु इसके हृदय में जहर भरा हुआ रहता है। यह कुशल धोखा देने वाली होती है तथा बात-बात पर असत्य भाषण करती है। 16. प्रेमिणी- यह सुन्दर, प्रेम को निभाने वाली तथा पतिप्रिय होती है। यह हमेशा मन्द-मन्द मुस्कराती रहती है तथा जो भी इसकी भलाई करता है, उस पर यह सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार रहती है। इसके केश लम्बे, सुन्दर तथा चेहरा आकर्षक होता है। 19
SR No.009374
Book TitleSaral Samudrik Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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