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सरल सामुद्रिक शास्त्र
सीमित-क्षेत्र में यश तथा सम्मान प्राप्त करने वाले होते हैं। उंगलियां कुछ मिली हुई तथा कुछ फैली हुई होती हैं।
4. अधम- पांव के तलवे कुछ भूरापन लिए हुए श्वेत रंग के होते हैं, त्वचा कठोर, रूखी तथा ठण्डी होती है एवं उंगलियां चौड़ी होती है उनके ऊपर बाल उगे होते हैं नाखून चपटे, लम्बे अथवा अधिक चौड़े होते हैं और पैर में पसीना आता है। गुल्फ बाहर की ओर निकला रहता है। नाखून का रंग पीला या सफेद होता है। ऐसे व्यक्ति कुल के अभिमान में डूबे रहने वाले सुविधाओं के विशेष प्रेमी, परिश्रम द्वारा भाग्योन्नति की इच्छा रखने वाले, कामुक प्रवृति तथा दरिद्री माने जाते हैं।
5. निकृष्ट- पांव के तलवे का रंग मिट्टी के रंग जैसा, ऐड़ी मोटी तथा जगह जगह से फटी हुई त्वचा स्पर्श से कठोर, ऊपरी भाग पर नसें उमरी हुई । उंगलियां टेढ़ी मेढ़ी तथा उन पर अधिक बाल उगे हुए गुल्फ बाहर की ओर निकले हुए नाखून छोटे, चपटे, नाखूनों का रंग कालापन या नीलापन लिए हुए होते हैं। ऐसे पांव वाला जातक बीमारियों से ग्रस्त एवं रोगी रहने वाला, दरिद्री, ज्यादातर अधिक समय तक घर से दूर रहने वाला, मिथ्याभिमानी, क्रोधी निश्चिन्त, तथा कुसंगति में रहने वाला माना गया है।
विद्वानों के अनुसार पांवों के शुभ-अशुभ लक्षण निम्न है:
1. मांसलयुक्त कछुए की पीठ की तरह उन्नत तथा नस विहीन पांव श्रेष्ठ माना गया है ।
2. कमल पुष्प की तरह गुलाबी रंग के तथा मुलायम पांव शुभ माने जाते हैं।
3. पांवों की उंगलियों का आपस में एक दूसरे से मिले हुए होना, नाखून सुन्दर होना, एड़ियां मांसल तथा गोलाई लिए हुए हो तथा गुल्फ की हड्डियों का दबा रहना शुभ लक्षण माना जाता है।
4. पांवों में पसीना आना, टखनों की हड्डियों का अधिक निकला रहना तथा पांव
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