________________
सरल सामुद्रिक शास्त्र
5. मंगल रेखा लम्बी और निर्दोष हो तथा मोटी हो तो जातक को बलवान, सैनिक, साहसिक प्रवृत्ति का बनाती है । खण्डित मंगल रेखा से व्यक्ति झगड़ालू एवं क्रोधी स्वभाव का होता है।
6
7. मंगल रेखा टेढ़ी हो, खण्डित हो, दोषपूर्ण हो, तो वह
जातक अधिकांश कार्यों में असफल रहता है एवं उसके कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।
6. मंगल रेखा सर्पाकार हो साथ ही
5
शनि रेखा सर्पाकार हो एवं दोनों के मध्य में वज्र का निशान हो, ऐसे जातक का मस्तिष्क प्रभावित होता है तथा वह निराश होकर आत्म हत्या को आतुर होता
8
30
7
8. सीधी व स्पष्ट मंगल रेखा होने से जातक सभी कार्यों
में सफल होता है क्योंकि उसमें साहस की अधिकता होती
9. मंगल एवं शनि रेखा बीच में टूटी हो, गुरु रेखा दोनों के बीच में झुकी हो तो ऐसा जातक धनी, दूरदर्शी एवं सौभाग्यशाली होता है यदि शनि और गुरु रेखा खण्डित होकर आपस में मिलेंगी तो अशुभ है ऐसी स्थिति में जातक स्वयं अपना जीवन बरबाद करता
9