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सरल सामुद्रिक शास्त्र
2. गुरु रेखा
ललाट पर पायी जाने वाली गुरु रेखा से जातक में - भक्ष्याभक्ष (खान-पान) ईमानदारी, नैतिकता, नियम-संयम, साफ-सफाई, भेद-भावन, आध्यात्म, आत्मचिंतन, ज्ञान, श्रद्धा, भक्ति, उपासना, आदि के बारे में जाना जाता है।
1. जिस जातक के ललाट पर गुरु रेखा पर नीची की ओर एक या दोनों ओर एक धुमावदार रेखा होगी तो जातक को स्वास्थ्य की परेशानी का संकेत देती है।
2. गुरु रेखा मध्य में नीचे की ओर V आकार में घूमकर पुनः सीधी होकर
आगे बढ़ जाये तो ऐसा जातक स्वतः के जीवन काल में अधिकाधिक धन खर्च करता है।
3. गुरु रेखा दो भागों में बंटने से जातक को आर्थिक संकटों का सामना होता है तथा उसके मन में अशान्ति होती है।
4. गुरु रेखा अखण्ड तथा स्पष्ट होने से जातक को ईमानदार, संयमी, ज्ञानी और उपासक बनाती है।
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