SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नक्षत्रों की संज्ञा ज्योतिष में नक्षत्रों को मूल, पंचक, ध्रुव, चर, मिश्र, अधोमुख, ऊर्ध्वमुख, दग्ध व तिर्यङमुख आदि के नामों से जाना जाता है। मूल संज्ञक- ज्येष्ठा, आश्लेषा, रेवती, मूल, मघा, अश्विनी ये नक्षत्र मूल संज्ञक है। पंचक संज्ञक-धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्र, उत्तराभाद्र और रेवती इन नक्षत्रों में पंचक दोष माना जाता है। ध्रुव संज्ञक - उत्तर फाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद व रोहिणी ध्रुवसंज्ञक चर संज्ञक- स्वाती, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा चर या चल संज्ञक मिश्र संज्ञक- विशाखा और कृतिका मिश्र संज्ञक है। अधोमुख संज्ञक- मूल, आश्लेषा, विशाखा, कृतिका, पूर्वफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़, पूर्वभाद्रपद, भरणी और मघा अधोमुख संज्ञक है। उर्ध्व संज्ञक- आर्द्रा, पुष्य, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा उर्ध्वमुख संज्ञक है। दग्ध संज्ञक- रविवार को भरणी, सोमवार को चित्रा, मंगलवार को उत्तराषाढ़, बुधवार को धनिष्ठा, बृहस्पति वार को उत्तराफाल्गुनी, शुक्रवार को ज्येष्ठा एवं शनिवार को रेवती दग्धसंज्ञक है। तिर्यङमुख संज्ञक अनुराधा, हस्त, स्वाती, पुनर्वसु, ज्येष्ठा और अश्विनी तिर्यङमुख संज्ञक है। उग्र संज्ञक – पूर्वाषाढ़, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वफाल्गुनी, मघा व भरणी उग्र संज्ञक है। लघु संज्ञक - हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजित, क्षिप्र या लघु संज्ञक हैं। मृदु संज्ञक- मृगशिरा, रेवती, चित्रा और अनुराधा मृदु या मैत्र संज्ञक है। तीक्ष्ण संज्ञक- मूल, ज्येष्ठा, आर्द्रा और आश्लेषा तीक्ष्ण या दारूण संज्ञक है। 82
SR No.009373
Book TitleSaral Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy