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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
(4) मसोड़ा ठीक मंत्र- ॐ दधी चिकतु पुत्रु तामलि रिषि तोर उपित्ता गावि जीभ वाहि
मरियउ तिथु वयरिहंतु लाग उहंतु गावितु हु ब्राह्मणु छाडि-२ न कीजइ अइसा। विधि- इस मंत्र से जल २१ बार मंत्रित करके उस जल को मुख में लेकर, मुख में घुमाने से मसोड़ा ठीक होता है।
(100) श्वांस,पाद ,पीलिया रोग निवारण मंत्र (1) श्वांस रोग विनाशक मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ णमो संभिण्णसोदराणं श्वास रोग विनाशनं
भवतु। (2) पाद रोग विनाशक मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ णमो सव्वजिणाणं पादादिसर्व रोग विनाशनं
भवतु। विधि- शुभ दिन, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र से जाप प्रारम्भ करके त्रिकाल जाप करें तो
अवश्य ही लाभ हो। (3) पीलिया रोग निवारण मंत्र- ॐ नमो आदेश गुरु की रामचन्द्र सरसाध लक्ष्मण
सादा बाण काला पीला राता पीला ॐ थोथा पीला चारों उडज्यों रामचन्द्र जी थोके
नाम मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फंस मंत्र स्वर वाचा। विधि- सात सुई लेकर एक कटोरी में जल लेवें तथा एक कटोरी खाली लेवें, उस सात सुई
से खाली कटोरी में मंत्र बोलकर सुई से जल छोड़ते जावें । २१ बार ऐसा ही करें तो पीलिया रोग जाय।
(101) पेट रोग निवारण मंत्र (1) पेट दर्द-दूर : मंत्र- ॐ नमो इट्ठी मीट्ठी भस्म कुरु कुरु स्वाहा। विधि- १२५००० जाप कर मंत्र सिद्ध कर लें। २१ बार पानी को अभिमंत्रित कर रोगी
को पिलायें तो पेट का दर्द दूर हो। (2) धरण दूर : मंत्र- ॐ चरणी चरणी माणस तेरी सरणी माणस का आसा पासा छांड रे
धरणी न छोड़े तो चतुरंग नाथ जी री आज्ञा फुरे ठः ठः स्वाहा। विधि- प्रथम १२५००० जाप कर मंत्र सिद्ध कर लें। फिर जब भी आवश्यकता हो, पेट पर
हाथ फेरता जाय और मंत्र पढ़ता जाय तो धरण अच्छी होगी। (3) पेट दर्द शांत मंत्र- ॐ इटि मिटि भस्सं करि स्वाहा। विधि- १०८ बार मंत्रित करके पानी को पिलाने से पेट का दर्द शांत होता है।
(1.) ॐ भस्यकरी ठः ठः स्वाहा। (2.) ॐ इटिमिटि मम भस्यं करि स्वाहा।
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