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मंत्र अधिकार
मुनि प्रार्थना सागर
मंत्र यंत्र और तंत्र
(1 ) निद्रा - तन्द्रा नाश मंत्र : ॐ ऋषभाय हनि हनि ना हानि स्वाहा ।
विधि : इस मंत्र को १०८ बार जपने से कषायेन्द्रिय का उपशम होय । विशेष तो निद्रातन्द्रा का नाश होता है ।
( 2 ) गहरी निद्रा में निमग्न होय मंत्र - ॐ भ्रम भ्रम केशि भ्रम केशि भ्रममाते, भ्रममाते भ्रम विभ्रम मुह्य मोहय मोहय स्वाहा ।
विधि - इस मंत्र को जपते हुए जमीन पर न गिरे हुए सरसों के दाने मंत्रित कर घर की चौखट पर डालने से उस के लोग गहरी निद्रा में निमग्न हो जाते हैं।
( 3 ) निद्रा स्तंभन - ॐ नमो भगवते रुद्राय निद्रां स्तंभय ठः ठः ठः ।
विधि - मंत्र को सिद्ध करके भटकटैया व मुलैठी को पीसकर सूंघने से स्तंभन होता है। मंत्र सिद्ध करके ही यह क्रिया करनी चाहिये ।
(83) अग्नि उतारक मंत्र
(1) अग्नि-स्तंभन मंत्र - ॐ नमो कोरा करुवा, जल से भरिया । ले गौरां के सिर पर धरिया । ईश्वर ढोले, गिरज्या न्हाय, जलती आग शीतल हो जाय । सत्य नाम आदेश गुरु को 1 विधि - इस मंत्र को २१ दिन तक रोज १००० जाप कर सिद्ध कर लें । फिर जब भी काम पड़े, कोरे मिट्टी के बर्तन में जल भर कर उसे २१ बार अभिमंत्रित कर जल के छींटा दें, तो जलती आग बुझ जाए।
( 2 ) हांडी, बाधने का मंत्र - जल बाँधूं, जलाई बाँधूं, जल की बाँधूं काई चूल्हे चढ़ी हांडी बाँधूं, बाँधूं तेल कढ़ाई, सेंस मण लकडूयां का भार बाँधूं, बाँधूं अग्नी माई, मेरी नहीं बँधे, तो गुरु गोरखनाथ की दुहाई ।
विधि - ११ दिन में १२५०० जाप करके मंत्र सिद्ध करें। फिर सात कांकरी व थोड़ी-सी राख लेकर ११ बार इस मंत्र से अभिमंत्रित कर हांडी में गिरा दें तो हांडी का पानी या जो भी उसमें होगा, गर्म नहीं होगा ।
(3) जलते हुए घर को बुझाने का मंत्र : “ऊँ क्ष्वीं इवीं अमृतवाहिनि स्वाहा । " विधि : इस मंत्र को बेर और एरण्ड के पत्ते पर लिखने से जलता हुआ घर ठण्डा हो जाता है ।
( 4 ) अग्नि प्रवेश में भी न जले - ॐ नमः सर्व विद्याधर पूजिताय इति मिलि स्तंभयामि
स्वाहा ।
विधि - मंत्र को पढकर अपनी चोटी में गांठ लगाकर अग्नि में प्रवेश करें तो जलेगा नहीं । (5) अग्नि उतारक मंत्र : ॐ भ्रू भ्रू वः श्वेत ज्वालिनी स्वाहा ।
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