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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
भूतप्रेत विनाशनाय नमः। विधि- इस मंत्र की १०८ बार जाप करना चाहिए। (16) सर्व ज्वर और भूतपिशाच निवरक मंत्र- ॐ नमो भगवती पद्मावती सूक्ष्मवस्त्र
धारिणी पद्मसंस्थिता देवी प्रचंडदोर्दऽखंडित, रिपुचक्रे, किन्नरकिंपुरुष गरुड, गंधर्व,यक्ष, राक्षस, भूत, प्रेत, पिशाच, महोरग, सिद्धिनागमनुपिजत विद्याधर सेवित,
ह्रीं पद्ममावती स्वाहा। विधि- इस मंत्र से सरसों को २१ बार मंत्र पढ़कर मंत्रित कर बायें हाथ में बांधे, तो सब
प्रकार का ज्वर तथा भूत प्रेत बाधा दूर होती है। (17) व्यंतर बाधा विनाशक मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अहँ अ सि आ उ सा अनाहत
विद्यायै णमो अरिहंताणं ह्रौं सर्व शान्ति भवतु (भवन्तु) स्वाहा।
अथवा- ॐ नमोऽर्हते सर्व रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा। विधि- शुभ मुहुर्त में सिद्ध कर प्रयोग समय १०८ बार पढ़ें। ( 18 ) डाकिनी-शाकिनी नाश मंत्र- ओं ह्रीं कुर कुले स्वाहा। विधि- यह नागदमनी महाविद्या है। इसके स्मरण मात्र से डाकिनी,शाकिनी, राक्षस आदि
का नाश होता है। (19) भूतप्रेत बाधा निवारण मंत्र- श्री मणिभद्र देव एषः योगः फलतु।
एक बार बोलना। ॐ नमो भगवते मणिभद्राय, क्षेत्रपालाय, कृष्णरूपाय, चतुर्भुजाय, जिन शासन भक्ताय, नव नाग सहस्रबलाय, किन्नर किं पुरुष गन्धर्व राक्षस भूत-प्रेत पिशाच
सर्व शाकिनीनां निग्रहं कुरु कुरु स्वाहा मां रक्ष रक्ष स्वाहा। विधि- उत्तर दिशा की ओर मुंह करके, लाल रंग की माला से तीन दिन में १२५००० जाप
करें, आचंबिल या एकाशन करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, दीपक अखंड रखें, मंत्र सिद्ध होय। फिर रोज एक माला का जाप करें भूत-प्रेत आदि की सर्व बाधाएं दूर
होंगी। (22) भूत निवारण मंत्र- (अ) ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा सर्व दुष्टान् स्तंभय-स्तंभय ठः
ठः ठः । अथवा (ब) ॐ ह्रीं अ सि आ उ सा सर्वदुष्टान् स्तंभय-स्तंभय मोहय-मोहय ज़ुभय-ज़ुभय
अन्धय-अन्धय वधिरय-वधिरय मूकवत् कराय-कराय कुरु-कुरु ह्रीं दुष्टान् ठः ठः ठः।
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