SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर (ब) ॐ नमो कामदेवाय महानुभावाय कामसिरि असुरी स्वाहा। विधि-इस मंत्र से तांबूल अथवा दातुन अथवा पुष्प अथवा फल को २१ बार मंत्रित करके जिसको दिया जाय तो वह वश्य हो जाता है। लाल कनेर को १०८ बार मंत्रित करके स्त्रियों के आगे (आयथेत) डालें तो वह शरण को प्राप्त होती है। (4) चमत्कारी वशी मंत्र- ॐ सुगंधवती सुगंध वदना कामिनी कामेश्वराय स्वाहा 'अमुक' स्त्री वश मानय मानय। विधि- ३० दिनों तक रात्रि में १०८ बार जप करें तो अन्य की बात क्या इन्द्र की पत्नी भी वश में होय। (5) स्त्री अवश्य वश होय मंत्र- ॐ नमो ह्रां ह्रीं श्रीं चमुंड चंडालिनी 'अमुका' मम नामेण आलिंगय आलिंगय चुंबय चुंबय भग संचय संचय ॐ क्रौं ह्रीं क्लीं ब्लूं सः सर्व फट् फट् स्वाहा। विधि-रात्रि को सोने के समय १०८ बार जपना, फिर पानी को २१ बार मंत्रित करके पीना, सोते समय इस प्रकार २१ दिन तक करना, शनिवार से प्रारंभ करना, तो जिस स्त्री के नाम से जपा जायेगा वह अवश्य ही वश में होगी। (6) ॐ कामिनी रंजय होम मंत्र ॐ कामिनी रंजय स्वाहा। विधि-मंत्र को अपने बायें हाथ में लिखकर जिसको दिखलाया जाय यदि वह कामदेव के बाण से बिध जाये तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं। (7) स्त्री वशीकरण मंत्र- ॐ उचिष्ट चांडालिनी देवी अमुकी हृदयं प्रविश्य मम हृदये प्रवेश प्रवेश हन हन देहि देहि पच पच हूँ फट् स्वाहा। विधि-रविवार से शनिवार तक ७ दिन इस मंत्र को शौच पेशाब के लिये बैठते समय २१ बार जपें तो ७ दिन में वांछित स्त्री वश में होती है। (8) स्व स्त्री वशी मंत्र एवं पर घर वश मंत्र- ॐ सिली खोली स्वाहा। विधि- अनुराधा नक्षत्र में सरीष की कील ४ अंगुल प्रमाण को सात बार मंत्रित करके जिसके घर में डाल दिया जाये वह वश में हो जाता है। विधि-। यदा तस्य सत्पुष्पो परिकीलिका मारीजते तदा स्व स्त्रियाँ वशी भवति। (9) स्त्री वशीकरण मंत्र : ऊँ नमो काम देवाय महानुभावाय कामसिरि असुरी असुरी स्वाहा। विधि : इस मंत्र से तांबुल (पान) अथवा दांतुन अथवा पुष्प अथवा फल को २१ बार मंत्रित करके जिसको दिया जाये वह वश्य में हो जाता है। इस मन्त्र से लाल कनेर को १०८ बार मंत्रित करके स्त्रियों के आगे (आमयेत) फेंके तो वह शरण को प्राप्त होती है। 153
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy