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________________ मंत्र यंत्र और तंत्र (5) घंटाकर्ण मंत्र द्वितीय मंत्र अधिकार ॐ घंटाकर्णो महावीर, सर्व व्याधि विनाशकः । विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष रक्ष महाबलः ॥१॥ लक्ष्मी वृद्धिकरं देवं, ह्रीं कराय नमोऽस्तु ते । यत्र त्वं तिष्ठसे देव, लिखितोऽक्षर पंक्तिभिः । रोगास्तत्र प्रणश्यंति, वातपित्तकफोद्भवाः॥२॥ तत्र राजभयं नास्ति, यांति कर्णे जपात्क्षयं । शाकिनी भूतवेताला, राक्षसा च प्रभवन्ति नः पिशाचा ब्रह्म राक्षसाः ॥३॥ नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दृश्यते । ग्रह देवा क्षेत्रपाला, स्वन भवंति कदाचन ॥ अग्नि चोर भयं नास्ति, ह्रीं घंटाकर्णो नमोस्तुते ॥४॥ ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लीं ऐं घण्टा कर्णो नमोस्तुते ॐ नर वीर ठः ठः ठः स्वाहा। विधि- यह घंटाकर्ण मंत्र का जाप ४२ दिन तक प्रतिदिन त्रिकाल १०८ बार जपें। धूप खेवें। मिर्च, सरसों जप कर होम करें तो अनिष्ट देव का भय नहीं होता । मुनि प्रार्थना सागर शासन देवी-देवता मान्य हैं चक्रेश्वर्यादिदिक्पाला यक्षाश्च शांतिहेतवे । सम्यदग्दर्शनयुक्तत्वात्ते पूज्या जिनशासने | | 4 | अर्थ चक्रेश्री, दिक्पाल, यक्ष आदिदेवता शान्ति प्रदान करने वाले हैं। ऐसे देव सम्यदृष्टी होने के कारण पूज्य हैं ऐसा जैन शास्त्रों का आदेश है उनकी पूजा करने में देव मूढ़ता नहीं होती क्योंकि सम्यग्दृष्टि जीव सदा पूज्य होता है । ( उमास्वामी श्रावकाचार - पृष्ठ 29 ) ( 39 ) अनेक विशेष मंत्र (1) ऋषि-मण्डल मंत्र - ॐ ह्रां हिं हुं ह्रूं हें ह्रौं ह्रः असि आउ सा सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्रेभ्यो ह्रीं नमः । - इस मंत्र की प्रतिदिन १०८ बार जाप करना चाहिए । विधि नोट - विशेष फल देखें यंत्राधिकार के पेज नं. (391) पर । 129
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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