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मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
( 37 ) प्रत्येक तीर्थंकर के काल में उत्पन्न क्षेत्रपाल
तीर्थंकर क्षेत्रकाल
१.
जय
२.
क्षेमभद्र
३.
वीरभद्र
४.
महाभद्र
५.
६.
७.
८.
९.
१०.
११.
१२.
१३.
१४.
१५.
१६.
१७.
१८.
१९.
२०.
२१.
२२.
२३.
२४.
कल्याणभद्र
कालाचन्द्र
विद्याचन्द्र
सोमकांत
वज्रकांति
शतवीर्य
तीर्थरुचि
लब्धि रुचि
विमलभक्ति
स्वभावनामा
धर्मकर
सिद्धसेन
यक्षनाथ
गिरिनाथ
क्षितिज
तंद्रराज
मंत्र अधिकार
कपिल
कौकल
कीर्तिधर
कुमुद
विजय
क्षांतिभद्र
वलिभद्र
भद्रभद्र
महाभद्र
कल्पचन्द्र
चन्द्र गुण
रविकांति
वीरकांति
महावीर्य
भावरुचि
तत्वरुचि
आराध्यरुचि
परभाव नामा
धर्माका
महासेन
भूमिनाथ
गद्धरनाथ
भवप
गुणराज
वटुक
खगनाम
स्मृमिधर
अंजन
127
अपराजित मानभद्र
श्रीभद्र
शान्तिभद्र
गुणभद्र
चन्द्रायभद्र
शतभद्र
दानभद्र
पद्मभद्र
नयभद्र
कुमुतचन्द्र
खेमचन्द्र
कुमुद्र चन्द्र
विनयचन्द्र
शुभ्र
हेमकांति
विष्णुकांत चन्द्रकांति
बलवीर्य कीर्तिवीर्य
शान्तिरुचि
तूर्यवाद्य रुचि
भावश्य वैद्यवाद्यरुचि
सहजानन्द
विनय नाम
भव्यरुचि
सम्यक्तरुचि
वैद्य रुचि
अनौपम्य
शांतकर्मा
(सातृकर्मक)
लोकसेन
देशनाथ
वरूणनाथ
क्षांतिप
कल्याणराज
भैरव
त्रिनेत्र
विनयधर
चामर
विनय केतु
अवनिनाथ
मैत्रनाथ
क्षेत्रप ( यक्षप)
भव्यराज
भैरव मल्लाकाखय
कलिंग
अब्जधर ( अब्जारव्य)
पुष्पदन्त