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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर 30. ॐ हूँ इह आचार्यों वंदना मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 31. ऊँ हूँ इह आचार्यो प्रतिक्रमण मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 32. ऊँ हूँ इह आचार्यों प्रत्याख्यान मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 33. ॐ हूँ इह आचार्यो व्युतसर्ग मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। 34. ॐ हूँ इह आचार्यो मन गुप्ति मूलगुण संस्कार: स्फुरतु स्वाहा। 35. ॐ हूँ इह आचार्यो वचन गुप्ति मूलगुण संस्कार: स्फुरतु स्वाहा। 36. ऊँ हूँ आचार्यों काय गुप्ति मूलगुण संस्कारः स्फुरतु स्वाहा। (6) निम्न मंत्र पढकर 5 स्वर्ण कलश सुगंधित जल से पाद प्रक्षालन करायें। मंत्र- ऊँ हूँ परम सुरभि द्रव्य सन्दर्भ परिमलगर्भ तीर्थम्बुि सम्पूर्ण स्वर्ण कलश पंचकतोयेन-पारिषेचयामीति स्वाहा। (7) ॐ हूँ णमो आइरियाणं आचार्य परमेष्ठिन् अत्र एहि एहि संवौष्टं आह्वानन्, स्थापनं, सन्निधिकरणं (8) निम्न मंत्र पढकर चन्दन से पैरौ पर तिलक करायें। मंत्र- ऊँ हूँ णमो आइरियाणं धर्माचार्याधिपतये नमः | (8) अब शान्ति भक्ति और समाधि भक्ति करें। (10) अन्त में नवीनाचार्य गुरूभक्ति करके अपने गुरू को नमस्कार करें और समस्त सभा सदों को आर्शीवाद दें। चौघड़िया देखने की विधि सामान्यतः एक दिन-रात में आठ-आठ चौघड़िया होती हैं। जिनमें से एक चौघड़िया का समय डेढ़ घंटे का होता है, जिसका चार्ट नीचे दिया हुआ है। लेकिन विशेष रूप से दिन-रात के छोटे-बड़े होने पर यह अवधि भी घटती-बड़ ति रहती है। अतः सूर्योदय और सूर्य अस्त का समय पंचांग में देखकर, जो दिन अथवा रात का कुल समय हो उसमें आठ का भाग देकर एक चौघड़िया का समय निकालें। ध्यान रखें सूर्योदय से दिन की और सूर्यास्त से रात की प्रथम चौघड़िया प्रारम्भ होती है। दिन का चौघडिया रात का चौघड़िया रवि | सोम मंगल बुध गुरु शुक्र | शनि समय रवि सोम मंगल बुध गुरु शक्र |शनि उद्वेग | अमृत रोग | लाभ| शुभ | चर | काल ६:००से७:३० शुभ | चर काल| उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ चर | काल | उद्वेग अमृत रोग | लाभ | शुभ ७:३०से९:०० अमृत रोग | लाभ| शुभ | चर काल | उद्वेग | लाभ शुभ | चर काल उद्वेग अमृत रोग |९:००से१०:३० चर काल | उद्वेग अमृत रोग लाभ | शुभ | अमृत रोग | लाभ| शुभ चर | काल | उद्वेग |१०:३०से१२:० रोग |लाभ | शुभ| चर | काल | उद्वेग | अमृत काल| उद्वेग | अमृत रोग लाभ| शुभ | चर |१२:००से१:३०काल| उद्वेग |अमृत रोग | लाभ | शुभ | चर शुभ | चर | काल| उद्वेग अमृत रोग | लाभ |१:३०से३:०० लाभ | शुभ | चर | काल| उद्वेग अमृत | रोग रोग | लाभ | शुभ | चर | काल उद्वेग | अमृत ३:००से४:३० उद्वेग अमृत | रोग लाभ| शुभ | चर | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ| शुभ | चर | काल |४:३०से६:०० शुभ | चर काल उद्वेग अमृत रोग | लाभ | 256
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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