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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
करें ।
(७) मंत्र पढ़कर माता पिता पर पुष्प क्षेपण करें
मंत्र-ॐ ह्रीं अर्हं असि आ उ सा णमो अरहंताणं अनाहत पराक्रमस्ते भवतु भवतु ह्रीं नमः
स्वाहा ।
ॐ सम्यग्दृष्टे-सम्यग्दृष्टे आसन्न भव्य - आसन्नभव्य विश्वेश्वरे - विश्वेश्वरे अर्जित पुण्येपुण्ये जिन माता - पिता भव ।
मुनि प्रार्थना सागर
(८) इन्द्रकल्पना- हार मुकुट पहिनाकर मंत्र पढ़कर पुष्प क्षेपण करें।
मंत्र - ॐ ह्रीं अर्हं असि आ उ सा णमो अरहंताणं अनाहत पराक्रमस्ते इन्दो भवतु भवतु ह्रीं नमः स्वाहा ।
(९) नीचे लिखे मंत्र को पढ़कर दिक्कुमारियों के ऊपर पुष्प क्षेपण करें।
मंत्र - ॐ ह्रीं श्री ह्री धृति कीर्ति बुद्धि लक्ष्मी तुष्टि पुष्टि शान्त्यादि दिक्कुमार्याः अत्रागच्छअत्रागच्छ जिन मातृ सेवां कुरु कुरु स्वाहा ।
मंत्र दूसरा- ॐ महति महसां श्री (ही धृति कीर्ति बुद्धि लक्ष्मी तुष्टि पुष्टि शान्ति ) महादेवी ऐं ह्रीं श्रीं (ह्री धृति कीर्ति बुद्धि लक्ष्मी तुष्टि पुष्टि शान्ति) देवी नित्यै स्वं सं क्लीं झ्वीं स्वां लां झौं तीर्थंकर सवित्रीं स्नापय स्नापय गर्भ शुद्धिं कुरु कुरु वं मं हं सं तं पं श्री (ह्रीं घृति कीर्ति वृद्धि लक्ष्मी तुष्टि पुष्टि शान्ति) देव्यै स्वाहा । आठों दिशा में एक-एक देवी को खड़ा करके मंत्र पढ़कर पुष्प क्षेपण करें।
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(१०) गर्भशोधन क्रिया
नीचे लिखे मंत्र को बोलकर इन्द्राणी या देवियाँ मंजूषा में केशर का लेपन कर शुद्ध करें ।
मंत्र - ॐ भूर्भुवः श्रीं अर्हं मातृगर्भाशयं पवित्रं कुरु कुरु इवीं इवीं क्ष्वीं क्ष्वीं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः
स्वाहा ।
(११) मंत्र पढ़कर मंजूषा के अन्दर बीच में स्वास्तिक बनाकर चाँदी का स्वास्तिक रखें, उस पर भद्रासन रखकर मातृका यंत्र और सुरेन्द्र यंत्र की स्थापना करें। भद्रासन पर मातृका यंत्र और सुरेन्द्र यंत्र की स्थापना मंत्र पढ़कर करें
मंत्र- ॐ ह्रीं गर्भक्रिया समये मंजूषायां मातृका यंत्रं च सुरेन्द्र यंत्रं स्थापयामि ।
(अ) मात्रका मंत्र - ॐ नमोऽर्हं अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ ऌ ए ऐ ओ औ अं अः क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह ह्रीं क्लीं क्रौं स्वाहा । (मंत्राराधना १०८ बार करें)
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