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मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर ४२. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो सप्पिसवीणं। मंत्र- ॐ नमो नमिऊण विषहर विष प्रणाशन रोग-शोक-दोष ग्रह कप्दु-मच्चजाई
सुहनाक गहणसकल सुहदे ॐ नमः स्वाहा। विधि- ऋद्धि -मन्त्र की आराधना से भयंकर युद्ध का भय मिट जाता है। ४३. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो महुरसवीणं । मंत्र- ॐ ओं नमो चक्रेश्वरी देवी चक्रधारिणी जिन शासन सेवाकारिणी क्षुद्रोपद्रवविनाशिनी
धर्मशांतिकारिणी इष्टसिद्धि कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ऋद्धि- मन्त्र जपने से सर्व प्रकार का भय मिटता है और सब प्रकार की शान्ति
मिलती है। ४४. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो अमीयसवीणं । मंत्र- ॐ नमो रावणाय विभीषणाय कुंभकरणाय लंकाधिपतये महाबलपराक्रमाय
मनश्चितितं कुरु कुरु स्वाहा।। विधि- ऋद्धि- मन्त्र की आराधना से सब प्रकार की आपत्तियाँ मिट जाती है। ४५. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो अक्खीण महाणसाणं। मंत्र- ॐ णमो भगवती क्षुद्रोपद्रवशांतिकारिणी रोगकुष्टज्वरोपशमं शांति कुरु कुरु स्वाहा। विधि- ऋद्धि- मन्त्र की आराधना से सर्व रोग नाश होते हैं तथा उपसर्ग भय नहीं होता। ४६. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो वड्ढमाणाणं। मंत्र- ॐ णमो ह्रां ह्रीं श्रीं हूं ह्रौं ह्रः ठः ठः जः जः क्षां क्षीं दूं क्षौं क्षः क्षयः स्वाहा। विधि- ऋद्धि- मन्त्र की आराधना से आराधक बंधनों से निर्मुक्त होकर निर्भय होता है। ४७. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो सव्वसाहूणं । मंत्र- ॐ नमो ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: क्षां क्षीं ह्रीं फट् स्वाहा। विधि- ऋद्धि- मन्त्र १०८बार जपने से शत्रु वश में होते हैं, विजय लक्ष्मी प्राप्त होती है
और शस्त्रादि के घाव शरीर में नहीं हो पाते। ४८. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो श्री ऋषभदेवाणं। मंत्र- महति महावीर वड्ढमाण बुद्धिरिसीणं ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: अ सि आ उ सा झौं झौं
स्वाहा। विधि- ४९ दिन तक १०८ बार ऋद्धि-मंत्र जपने से मनोवांछित समस्त कार्यों की सिद्धि
होती है।
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