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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
विधि- ऋद्धि-मंत्र की आराधना से उपासक को शत्रु भी हानि नहीं पहुंचा सकता। २८. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो महातवाणं। मंत्र- ॐ णमो भगवते जय विजय मुंभय मोहय मोहय सर्वसिद्धि सम्पत्ति सौख्यं च कुरु
कुरु स्वाहा। विधि- इसकी उपासना से सभी अच्छे कार्य सिद्ध होते हैं व्यापार में लाभ होता है। २९. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो घोरतवाणं। मंत्र- ॐ ह्रीं णमो णमिऊण पासं विसहर फुलिंगमंतो विसहर नाम रकार मंतो सर्व सिद्धि
___मोहे इह समरंताण मण्णे जा गहं कप्पदुमच्च सर्व सिद्धि ओं नमः स्वाहा। विधि- १०८ बार जपने से नेत्र पीड़ा दूर होती है। ३०. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो घोरगुणाणं। मंत्र- ॐ णमो अढे मढे क्षुद्रविघठे क्षुद्रान् स्तम्भय स्तम्भय रक्षां कुरु कुरु स्वाहा। विधि- सश्रद्धा ऋद्धि-मन्त्र की आराधना से शत्रु का शौर्य नष्ट होता है। ३१. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो घोरगुण परक्कमाणं। मंत्र- ॐ उवसग्गहरं पासं वंदामि कम्मघणमुक्कं विसहर विसणिर्णासिणं मंगल कल्याण
आवासं ओं ह्रीं नमः स्वाहा। विधि- ऋद्धि-मन्त्र जपने से सब जगह व राज्य सम्मान होता है। ३२. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो घोरगुण बम्भचारिणं । मंत्र- ॐ णमो ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: सर्वदोष निवारणं कुरु कुरु स्वाहा। विधि- कुमारी कन्या के हाथ से कते सूत को मन्त्रित कर गले में बाँधने से संग्रहणी तथा
उदर की भयानक पीड़ा दूर होती है। ३३. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो सव्वोसहिपत्ताणं । मंत्र- ॐ ह्रीं क्लीं क्षीं ब्लूं ध्यानसिद्धिपरमयोगीश्वराय नमो नमः स्वाहा। विधि- सश्रद्धा कच्चे धागे को मन्त्रित कर गले में व हाथ में बाँधने से एकातंरा, तिजारी,
ताप, ज्वरादि सब रोग दूर होते हैं। ३४. ऋद्धि :- ॐ ह्रीं अहँ णमो खिल्लोसहिपत्ताणं। मंत्र- ॐ णमो ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं ह्यौं पद्मावत्यै नमो नमः स्वाहा। विधि- ऋद्धि मन्त्र से मन्त्रित कच्चे धागे को मन्त्रित कर कमर में बांधने से असमय में गर्भ
नहीं गिरता।
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