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मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर विधि- ऋद्धि मंत्र को जपने तथा ७ कंकरियों को १०८ बार मंत्रित कर चारों दिशाओं में
___फेंकने से चोर चोरी नहीं कर पाते तथा रास्ते का भय नहीं रहता। १४. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो विपुल मदीणं। मंत्र- ॐ नमो भगवती गुणवती महामानसी स्वाहा। विधि- सश्रद्धा सात कंकरियों को २१ बार मंत्रित कर चारों दिशाओं में फेंकने से व्याधि
शत्रु आदि का भय नही रहता और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। १५. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो दसपुव्वीणं। मंत्र- ॐ नमो भगवती गुणवती सुसीम पृथवी वज्रशृंखला मानसी महामानसी स्वाहा। विधि- २१ बार मंत्रित तेल मुखपर लगाने से सभा में सम्मान बढता है। १६. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो चउदसपुव्वीणं। मंत्र- ॐ णमो मङ्गला सुसीमा नाम देवी सर्व समीहितार्थं वज्रशृंखलां कुरु कुरु स्वाहा। विधि- नौ दिन तक प्रतिदिन १००० जप करने से राज दरबार में प्रतिवादी की हार होती
है। शत्रु का भय नहीं रहता। १७. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्ह णमो अट्ठांग महानिमित्त कुसलाणं। मंत्र- ॐ णमो णमिऊण अढे मढे क्षुद्र विघठे क्षुद्रपीड़ा जठर पीड़ा भंजय २ सर्वपीड़ा
सर्वरोग निवारणं कुरु २ स्वाहा।। विधि- सश्रद्धा सात दिन तक प्रतिदिन १००० जप करें। अछूता पानी २१ बार मन्त्रित कर
पिलाने से शारीरिक सभी रोग दूर हो जाते हैं। १८. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो विउणयट्ठिपत्ताणं। मंत्र- ॐ नमो भगवते जय विजय मोहय २ स्तम्भय स्वाहा। विधि- सात दिन १००० जप करें। फिर १०८ बार ऋद्धिमंत्र जपने से शत्रु सैन्य स्तम्भित
होती है। १९. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो विजाहराणं । मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्र: जक्ष ह्रीं वषट् नमः स्वाहा। विधि- सश्रद्धा ऋद्धिमंत्र १०८ बार जपने से परकृत जादू-मूठ-टोटका उच्चाटनादि का भय
नहीं होता। २०. ऋद्धि- ॐ ह्रीं अहँ णमो चारणाणं। मंत्र- ॐ श्रीं श्रीं शृं श्रः शतुभय निवारणाय ठः ठः स्वाहा। विधि- प्रतिदिन १०८ बार जप से सन्तान-सम्पत्ति-सौभाग्य बुद्धि और विजय की प्राप्ति
होती है।
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