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________________ प्रियदर्शिनी टीका अ. १९ मृगापुनचरितचणनम् ४६९ ; लवणेन , द्वादशविम्, नियमो द्रव्यायभिग्रहलक्षणः सयमः = सावयविरमणलक्षणः सप्तविस्तार=पारकम् जत एत्र शीलाव्यम् - शी ेन = अष्टादशशीलाद्गसहस्र व्य= परिपूर्णम्, तत एव च गुणाकरम् = गुगाना ज्ञानादीनामाकर इन आकरस्त ज्ञानादिगुणरत्नाकरमित्यर्थः एतादृश सदीरकमुख खनिनद्धमुस श्रमणसयत = श्रमवासी सयतवेति श्रमणसयवस्न, निरतिचारचारितवन्त मुनिं तन-चतुरानिक चत्वरेषु अतिक्रामन्तम् = आगच्छन्त पश्यति । श्रमणमात्रोक्तौ शाक्यादिसाना ग्रहण स्यात्, अतस्तन्निवृत्यर्थं श्रमणसयत इत्युक्तम् ||५|| मूलम् -- तं पास मियांपुते, दिट्टीए अणिमेसाए । कंहि मनेरिस रूव, दिव्यमए पुरा ||६|| जया--त पश्यति मृगापुनी, दृष्ट्या अनिमेपया । कमन्ये ईदृग रूप, दृष्टपूर्व मया पुरा || ६ || - तपो नियममयमवरम् ) अनशन आदि बारह प्रकार के तपो को तपने वाले, अभिग्रह रूप नियम को पालन करने वाले तथा सावद्य विरमणरूप सत्रह प्रकार के सयम को धारण करने वाले तथा (सीलड्डू - शीलादयम्) अठारह हजार शीलाग रथको धारण करने वाले इसीलिये ( गुण आगरम् - गुणाकरम् ) ज्ञानादिक गुणो के आकर-खान स्वरूप ऐसे (समणसजय - श्रमणमयतम् ) श्रमणसयत को अर्थात् परीपह उपसर्गो को सहन करने वाले होने से श्रमण, वायुकाय की यतना के लिये मुख पर दोरा सहित मुग्ववस्त्रिका बाधे हुए होने से सयन ऐसे मुनि को (तत्य - तन ) चतुष्क, (चार पार्श्ववाले) त्रिक, (तीन रस्ते) एव चत्वर (चार रस्ते पर (अइच्छत-अतिक्रामन्तम्) आते हुए (पासइ - पश्यति) देखा || ५ || तपो नियमसजम परम् अनशन आहि मार अारना तपाने सायरवावाजा तथा भावद्य विग्भलु३ष सत्तर प्रहारना स यमने धारशु ४२वावाणा, तथा सीलड्डू - शीलाढयम् मदार हुन्नर शीलांग रचने धारण ४२वावाजा, सेन अणुथी गुणजागरम् - गुणाकरम् ज्ञानादि गुणोनी उडी भालू स्व३५ वा समणसजय - श्रमणसयतम् શ્રમણ સયતને અર્થાત્ પરીષહ ઉપસર્ગાને સહન કરવાવાળા હેાવાથી શ્રમણ વાયુ કાયના રક્ષણુને માટે મેઢા ઉપર દેરા સહિત મુખવસ્ત્રિકા ખાધેલ હાવાથી સ યત मेवा भुनिने तत्थ-तत्र चतु, निक, भने चत्वर ५२ इच्छते - अतिक्रामन्तम् भावता तेथे पासइ - पश्यति नेया ॥ ५ ॥
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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