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________________ ન उतयय तथा मृलम् - तहेवे कासीराया, सेओसच परक्रमं । कार्मेभोगे परिचेंज, पहने कम्मर्महावण ॥२२॥ छाया -- तथैव काशीरान, श्रेय सत्यपरारम | कामभोगान परित्यज्य, माहन कर्ममानम् ||४९|| टीका- 'तत्र' इत्यादि । हे सयतमुने । तथैव= तेन प्रकारेणैर पूक्ति भरतादिनृपतित्र देवेत्यर्थ., श्रेयः सत्यपराक्रमः - सिमरा-पाणकरके सत्ये=सयमे पराक्रमः = सामर्थ्य यस्यासौ तथा काशीराजानीमण्डलाधिपति नन्दनो नाम सप्तमो देव कामभोगान = राम- लक्षण, भोगा गन्धरसम्पर्शक्षणास्तान परित्यज्य = विहाय कर्ममहावनम् = अतिगहनतमा महायन तव भान उन्मृतिवान ॥ ४९ ॥ तथा - 'तहेच कासी राया' इत्यादि । अन्वयार्थ - हे सयनमुने ! ( तहेव - तथैव) पूर्वोक्त इन भरन आदि राजाओं की तरह (सेओ सच परधामे-श्रेयः सत्यपराक्रम. ) कल्याण कारक सयम मे पराक्रमगाली ( कासीराया - शशीराज ) काशी राजाने कि जिनका नाम नदन या और जो सातवें बलदेव थे ( कामभोगे परिश्चज्ज-काम भोगान् परित्यज्य) काम शब्द रूप भोगों-गध रस स्पर्श - का परित्याग करके (कम्म महावण परणे - कर्ममहावनम् प्रान) कर्म रूप महावन को उन्मूलित किया है। इनकी कथा उस प्रकार हैबनारस नगरी में अदारहवें तीर्थकर अरनाथ के शासन में अग्नि शिख नामका एक राजा था। जयन्ती और शेपवती नामकी इनकी दो तथा - "तन कासी राया" इत्यादि अन्वयार्थ ----डे सयत भुनि । तद्देव - तथैव भागणना मे लरत राम वगेरे राजयोनी भाइ सेओ सच्चपरकमे श्रेय. सत्यपराक्रम त्याने ४२वा बाजा सय भभा पराभशाणी कासीराया काशीराज. अशी रामसे हैं, लेमनु नाम नहन ने ? सातमा देव ता कामभोगे परिचज्ज - कामभोगान् परित्यज्य भ श, ३५ लोग, गंध, रस, स्पर्शना परित्याग अरीने कम्ममहात्रण पहणे-कर्म महावनम् મન જેમણે કરૂપ મહાવનને નાશ કરેલ છે તેની કથા આ પ્રકારની ખનારસ નગરીમા અઢારમા તીર્થંકર અરનાથના શાસનમા અગ્નિશિખ નામના એક રાજા હતા જયતિ અને શૈષવતી નામની એમને એ ટ્ટરાણીઓ હતી M
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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