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मनग्याकरण एरावण इवकुजराणं सीहो जहा मिगाण पवरो सुपन्नगाणं च वेणुदेव धरण जहा पण्णग इदराया कप्पाण चेव वंभलोष, सभासु य जहा भवे सुहम्मा ठिईसु लवसत्तममपवरा दाणाणं चेव अभओ दाणं किमिराओ चेव कंबलाण सघयणे घेव बजरिसभे सठाणे चेव समचउरसे झाणेसु य पर सुकज्झाण नाणेसु य परमकेवल तु सिद्ध लेसासु य परममुक्कलेसा तित्थकरो चेव जहा मुणीण वासेसु जहा विदेहे गिरिराया घेव मदरवरे वणेसु जहा गंदणवण पवरं दुमेसु जहा जबू सुदसणा वीस्सुयजसा जीयानामेण अय दीवो, तुरगवई गयवई रहवई नरवई जह वीसुए चेव राया रहिए चेव जहा महारहगए एवमणेगगुणा अहीणा भवति एगम्मि वभचेरे ॥ सू० २ ॥
टीका-'जम्मि य' इत्यादि । 'जम्मि य' यम्मिश्च ब्रह्मचर्ये 'भग्गे' भग्ने विराधिते सति 'सच' सर्व 'विणयसीलतवनियमगुगसमूह' विनयशील. तपोनियमगुणसमूहः-विनयो गुरुपतिपत्तिलक्षण', शील-सदाचारः, तपः अनशनादिक द्वादशविय, नियमः अभिग्रह', गुणसमूहा नानादिगुणसमुदाय', एपा समाहारे विनयशीलतपोनियमगुणसमूह क्रियाज्ञान चेतियमपीत्यर्थः, सहसा% झटिति 'सभग्गमहियचुप्णिय कुसल्लियपल्लहपडिय ग्वडियपरिसडियविणासिय'संभ
फिर ब्रह्मचर्य का माहम्य कहते है-'जम्मिय भग्गे' इत्यादि ।
टीकार्थ-(जम्मिय भग्गे) जिस ब्रह्मचर्य के विरावित होने पर( सव्व विणयसीलतवणियमगुणसमूह ) समस्त विनय, शील, तप, नियम और गुण समूह-अर्थात्-क्रिया और ज्ञान ये दोनो ही (सहसा) इकदम (सभग्गमदिय-चुणिय-कुसल्लिय-पल्लट-पडिय-खडिय-परिस
वे सूत्रा२ ब्रायनु महात्म्य ७९ छ- “ जम्मिय भग्गे" fo 210--"जम्मिय भग्गे" २ प्रायः विराधना यता “ सव्व विणय सीलतवणियमगुणसमूह " समस्त विनय, la, तप, नियम भने शुशुसभूड सटोलिया भने ज्ञान ने “सहसा" भयान: "सभग्गमहियचु ग्णियकुसलिय--पलठ्ठ-पडिय सडिय-परिसडिय-विणासिय होइ” टेसा पानी