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प्रभम्पारपणे है नाना प्रकार के दुम्यो का दाता है। (त्ति बेमि ) ऐसा हे जवू ! में कहता है। इस प्रकार सुधर्मास्वामीने जपूस्वामी को इसके विषय में समझाया है । सू०१५॥
॥ चतुर्थ अधर्मगार समाप्त ।
भान छ, भने "दुरत " तेनु मसान त -नाना माना देना छे “तिमि" मे
१५ मामाभान सुधभाभी અબ્રહાન વિષે સમજાવ્યું છે. તે સ ૧૫ in
ચોથુ આસવ (અધર્મ દ્વારા સમાપ્ત થયુ.