SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 500
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ You प्रश्नव्याकरणसूत्रे भरह-नग णगर-निगमजणवय-पुरवणदोणमुह सेड कबडमडवसवाहपट्टणसहस्त-मडिय-थिमिय-मेयणियं एगच्छत्त ससागर भुजिऊणवसुह नरसीहा-नरवई-नरिंदा-नरवसहा मरुयवसभकप्पा अन्भहिय रायतेयलच्छीए दीपमाणा सोम्मा रायवंसतिलगा रवि-ससि-लख-बरचक तोत्थिय पडाग-जवमच्छकुम्मरहवर-भग-भवण-विमाण-तुरग-तोरण-गोपुर मणि रणय-नदियावत्त-मुसल-लगल-सुरइयवरकप्प स्क्स मिगवा -भद्दासण-सुरुइ-थूभ बरमउड-सरिय-कुडल कुजर-वरवसभ दीव-मदर-गरुलज्झय-इदकेउ-दप्पण--अट्टा-वय-चाव-वाणनक्खत्त मेह-मेहल-वीणा-जुग-छत्त-दाम-दामिणि कमडलकमल-घटा-वरपोत सूची-सागर कुमुदागर-मगर-हार गागरनेउर-णग-णगर-वइर-किण्णर-मयूर-वररायहस-सारस-चकोर चक्कवाग मिहण ग्रामर-खेडग-पवासग-विपचि-वरतालियटसिरिया-भिसेय-मेयणि-खग्ग-कुस-विमल कलस-भिगार-वद्धमाणगपसत्थउत्तमविभत्तवरपुरिसलक्खणधरा ॥ सू० ४ ॥ ___टीका-'भुज्जो' भूय =पुनरपि 'अमुर-सुर-तिरिय मणुय भोगरइ-विहा रसंपउत्ताय ' असुरसुरतिर्यमनुजभोगरतिविहारसमयुक्ताश्च तत्र असुराव्यन्तराः अन-असुरशब्देन व्यन्तरा गृह्यन्ते, सुरा =यक्षा', तिर्यश्च: अश्वरत्नगजरत्नादया, ___ अर सूत्रकार चक्रवर्ती आदि को का वर्णन करते हैं-'भुजा असुर०' इत्यादि। टीकार्थ -(असुर-तुर तिरिय मणुय भोगरइ विहारसपउत्ताय) असुरों - व्यन्तरदेवो, सुरो - यक्षों तिर्यचों-अश्वरत्न गजरत्न आदि सूत्रा२ यवती माहिन पान ४२ छ-" भुजो असुर "त्यादि "असुर, सुर, तिरिय मणुय, भोगरइविहारसपउत्ताय " मसुरी-व्यत२ वो, સુરે, યક્ષો, તિર્યંચો-અધરત્ન, ગજરત્ન, આદિ પ્રાહિએ, મનુએ માલિક
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy