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________________ सुदर्शिनी टीका अ २ सू० २ भलोकवचननामानि १६९ टीका-'तस्स य' तस्य च मृपावादस्य द्वितीयास्त्रवद्वारस्य 'गोणाणि' गौणानि गुणनिप्पन्नानि 'तोस' किंगत् 'णामाणि' नामानि 'हुति' भवन्ति त जहा' तद्यथा-(१) 'अलिय' अरोक-निष्फल शुभफठवर्जितत्वात् , (२) 'सह' शठ-कपटिजनसमाचरितत्वात् , (३) 'अणज्न' अनार्यम्-अनार्यजनोक्त___“जारिसओ" इसे प्रथम द्वार में मृपावाद का स्वरूप कहा गया है, अय सूत्रकार 'ज नामा' इस दुमरे द्वार में इसके कौन २ से नाम हैं वह कहते है-'तस्म य णामाणि' इत्यादि । टीकार्य-(तस्म) इस द्वितीय आसबहार रूप मृपावाद के (गोणाणि) गुण निप्पन्न (तीम) तीस (णामाणि) नाम (हुति) है (तजहा) वे हम प्रकार है-(अलिय १, सह २, अणज्ज ३,मायामोसो ४, असतक५, कृडकवडमवत्युग ६, च निरस्थयमवत्थय ७ च, विद्देसगरहणिज्ज ८, अणज्जुक ९, काणा १०य, वचणा ११ य, मिन्छापच्छाफड १२ च, साइ १३, उस्सुत्त १४, उस्कूल १५ च, अह १६, अभक्खण १७ च, किञ्चिस १८, वलय १९, गहण २० च, मम्मण २१ च, नूम २२, नियई, २३, अप्पच्चओ २८, असयमओ २५, असच्चसघत्तण २६, विविक्खो २७, उहिय २८, उहि असुद्ध २९, अवलबो ३० त्ति) यत् असत्यभापण शुभफलों से रहित होने के कारण अलीकफल रहित होता है इसलिये इसका नाम अलीक हे ११ कपटीजनों के द्वारा यह अपना काम "जारिसओ" मा प्रथम द्वारमा भृयापा-मसत्य क्यन-नु स्व३५ ४३ पामा माव्यु छ हुवे सूत्रधार " जनामा" मे पहाथी श३ यता भात द्वारमा तना या ज्या नाम छे ते मताव छ-" तस्स य णामाणि' त्यात टी "-तरस" मी जात मासपा२३५ भृपावाहना" "गोणाणि" गुणानुभार " तीस " श्रीस ‘णामाणि" नाम " हुति"छे “ त जहा"तेसा प्रभारी छ __“अलिय १ सढ २, अणज्ज ३, मायामोमो४, अस तक५, कृउकवडमवत्थुग६, च, निरस्थयमवत्थय ७, घ विदेसगरहणिज्ज ८, अणज्जुक ९, कफणा १० य, वचणा ११ य, मिन्छापच्छाकड १२ च, साइ १३, उस्सुत्त१४, उस्कूल १५ च, अर १६, अब्भासण १७ च। किचिस १८, वलय १९, ग हण २० च, मम्मर्ण २१ च, नृम २२, निरई २.३, अप्पच्चओ २४, असयमओ २५, असञ्चसघयण ०६, विविस्ती २७, उपहिय २८, उमहिअसुद्ध २९, अवलो वो ३० ति" (१) ते असत्य भाषण शुभ माथी २हित पाने १२५ “अलीक" ३२लित डाय छ तेथी तेनु नाम "अलीक" ५७यु छ (२) प्र-२२
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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