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________________ २ उदारर-चरित थे, उतने ही आप शास्त्रों के ज्ञाता मो थे । साम करके धर्मशास्त्रमे आपका अच्छा प्रवेश था। ज्योतिषशास्त्र के नी आप मर्मज्ञ ये कहने का तात्पर्य यह है कि मोने में युग की तरह आप पर भगवती, सरस्वती और देवी लक्ष्मी दोनो का समान रपसे आशीर्वाद का हाथ रहा। पाली के आनालवृद्ध सभी आपके गुणों को आज भी भूले नहीं है । आपकी तरफ से पालीमें कन्याशाला, हाईस्कुल आदि शैक्षणिक संस्थाएँ चल रही हैं, जिनमें प्रति वर्ष कई विद्यार्थी विद्यालाभ प्राप्त कर रहे है। गरीब, अपग और अनाथों के लिए भी आपकी तरफ से सदावत अनाथालय और प्याज चल रही हैं | आयविल खाता भी आपकी तरफ से पाली में चल रहा है आपका स्वर्गवास सवत् २०१८ कार्तिक शुद्ध द्वितीया शुक्रवार को हुआ । श्रीमात् सेठ श्री मुकुनचन्दजी सा. के श्री रस्तिमलजी श्री मोहनराजजी श्री माणेकलालजी श्री मदनलाग्जी ये चार पुत्र और एक पुत्री श्री वसतकुवर मौजूद है, एव सबसे पटे पुत्र श्री सोहनराजजी सा. एव सबसे छोटी पुत्री श्री सज्जनकुवरपाई स्वर्गस्थ है। सेठ साहब के पाच पौत्र है, तीन पौत्रियां है और एक प्रपौत्र है इस तरह सेठ मायने अपने सामने चार पीढियों को फलते फुलते देखा है । पूज्य आचार्य श्री जैनधर्मदिवाकर आगमोद्धारक श्री महाराज साहब श्री घासीलालजोकी देखरेख मे वर्षो से कई शास्त्र ग्रन्थोका लेखन, प्रकाशन और सपादन होरहा है । समस्न जैनागमोका आप भारतकी अद्यतन भाषा में संस्कृत - प्राकृत हिन्दी गुजरातीमे-सरल व्याख्या करके जैन धर्मकी अभिवृद्धि कर रहे है । श्रीमान सेटसाहब के सुपुत्रोने अपने पिताश्री के पुण्यस्मरणार्थ शास्त्र प्रकाशनमे उदार सहायता की है । श्रीमान् सेठ सा की पाली - जोधपुर-व्यावर - अहमदाबाद-मुंबई मे अनेक पेढ़िया है । इश्वर कृपा से बालियानीके परिवार सुन्वमपत्ति का सदा अनुभव करते रहे ।
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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