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________________ प्रभव्याकरण एव 'कुद्धा लुद्वा मुद्धा' क्रुद्धाः लुब्धाः मुग्धाः-क्रोधलोभमोहयन्तः प्रन्ति । 'अत्था' अर्था:-धनार्थिनः, 'धम्मा' धर्माधर्मार्थिनः-जाति कुलधर्माभिमानवन्तः 'कामा' कामाम्कामार्थिनो प्रन्ति । एष 'अत्या धम्मा फामा' अर्थ धर्मकामा र्थिनो घ्नन्ति ॥सू०२०॥ करते है, (लद्धा हणति) कितनेक ऐसे है जो केवल लोभ के यशवर्ती होकर जीवों की हिंसा करते हैं, और ( मुन्द्रा ति) कितनेक ऐसे भी हैं जो केवल मोहाधीन वृत्ति होकर जीवों की हिंसा करते है। (कुद्धा लुद्धा मुद्धा रणति) कितनेक ऐसे भी हैं जो क्रोध, लोभ, मोह इन तीनों के वशवर्ती बनकर जीवों की हिंसा करते हैं। (अत्या रणति) कितनेक ऐसे भी जीव है जो केवल धन के अर्थी होकर ही जीवों की हिंसा करते है, (धम्मा रणति ) कितनेक ऐसे भी है जो धर्मार्थी-जाति धर्म और कुलधर्म के अभिमानी होकर जीवों की हिंसा करते हैं। ( कामा रणति कितनेक ऐसे भी है जो कामार्थी इन्द्रियों के विषयों को भोगने की लालसा के वशवर्ती होकर जीवो की हिंसा करते है और (अत्याधम्मा कामा हणति ) कितनेक ऐसे भी हैं जो अर्थ, धर्म और काम, इन तीनों के वशवर्ती होकर जीवो की हिंसा करते हैं। भावार्थ-इस सूत्र द्वारा सूत्रकार ने हिंसा करने की विचारधारा वाले जीवों को कहा है, वे कहते है कि कितनेक जीच ऐसे भी हुओ औषमा मावान वानी डिसा ४२ छ 'लुद्धा हणति"320 34 सालने १२ धनवानी हिंसा ४२ छ, “मुद्धा हणति" 281 मेवा ५ । डाय छेउ २५० भाडधान थन वानी डिसा ४२ छ “कुद्धा लुद्धा मुद्धा हणति" मा सो सवा ५ मा अध सोम, भाड़ में अपने वश ५४२ वानी डिसा ४२ छ "अत्था हणति" सा वा ५] छाछ २ धन भाटे वानी डिसा २ छ “धम्मा हणति" 32લાક એવા પણ છે છે કે જે ધર્માર્થે–જાતિધર્મ અને કુળધર્મના અભિમાનને २३ रानी हिंसा ४२ छ “कामा हणति" टस सेवा प वा डाय છે કે જે કામાર્થે ઇન્દ્રિયોની વિષય લાલસાને વશ થઈને જીવનો હિંસા કરે ॐ भने “अत्था धम्मा कामा हणति" सा सपा ५५ ७ सय छ । જે અર્થ, ધર્મ અને કામ, એ ત્રણને વશ થઈને જીની હિંસા કરે છે ભાવાર્થઆ સૂત્રમાં સૂત્રકારે હિંસા કરવાની વિચારધારાવાળા જીવે બતાવ્યા છે તેઓ કહે છે કે કેટલાક જી એવા પણ હોય છે કે જે બીન
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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