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________________ त्रिविधा नामक दूसरी प्रतिपत्ति ५१ त्रिविध प्रतिपत्ति में संसार समापन्नक जीवो का निरूपण ५२ खियो के भवस्थितिमान का कथन ५३ देवस्त्रियो के भवस्थितिमानका निरूपण ५४ स्त्रियो के स्त्रीपने से अवस्थानकालका निरूपण ३५९-३७४ ३७४-३९३ ३९३ ४०१ ४०१-४२८ ४२९-४३७ ३३८-४५३ ४५३-४५८ ५८ तिर्यड् मनुष्य और देव पुरुषो के भेदो का निरूपण ४५९-४६२ ५९ पुरुषो के भेदो का निरूपण ४६३-४८६ ६० पुरुषो के अन्तरकाल का निरूपण ४८६-४९७ ६१ पहला सामान्यरूप से तिर्यड् मनुष्य और देव पुरुषो के अल्पबहुत्व का निरूपण ४९८-५२२ ६२ पुरुषवेद की बन्धस्थिति का निरूपण ५२२-५२४ ६३ नारक - तिर्यच और मनुष्ययोनिक तीन प्रकार के नपुंसको का निरूपण ५२५-५३३ ५३३-५५५ ५५ स्त्रियो के अन्तरकाल का निरूपण ५६ सामान्यतः तिर्यड् मनुष्य और देवसियो के अल्पबहुत्व का निरूपण ५७ स्त्रीवेद कर्मका स्थितिमान का निरूपण ६४ नपुंसको के स्थितिमान का निरूपण ६५ नपुंसको के अंतरकाल का निरूपण ६६ नारक तिर्यक् मनुष्य नपुंसको के अल्पबहुत्व का निरूपण ६७ नपुंसको के वेद कर्म बन्धस्थिति का निरूपण ६८ सामान्य प्रकार से पाँच अल्पबहुत्व का निरूपण ६९ विशेष प्रकार से तिर्यगादि विषयक छठे अल्पबहुत्व का निरूपण ७० विशेष को लेकर सातवे एवं आठवे अल्पबहुत्वका निरूपण ७१ विशेषतः तिर्यक् मनुष्य स्त्री पुरुष नपुंसक तथा देवस्त्रीपुरुष एवं नारक नपुंक विषयक समिश्र नववे अल्पबहुत्व का निरूपण ७२ स्त्रीपुरुष एव नपुंसको के स्थितिमान का निरूपण अनुक्रमणिका समाप्त ५५५-५६४ ५६५-५८६ ५८७-५८९ ५८९-५९८ ५९८-६०४ ६०४–६१७ ६१७-६३५ ६३५-६४०
SR No.009335
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages690
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size45 MB
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