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________________ ६९० I नो संचाएइ चिलाय चोरसेणावई साहस्थि गिरिहत्तर से र्ण तओ पडिनियत्तइ, पडिनियत्तित्ता जेणेव सा सुसुमा दारिया चिलाएण जीवियाओ ववरोधिया तेणेन उवागच्छछ, उवागच्छित्ता, सुसुमं दारिय चिलाएणं जीवियाओ ववरोवियं पासइ, पासित्ता परसुनियत्तेव चपगवरपायवे धसत्तिधरणियलसि निवडइ । तएण से धण्णे सत्यवाहे पचहि पुतेहि सद्धिं अप्पछट्टे आसत्थे कूयमाणे कदमाणे विलयमाणे महया२ सद्देणं कुहूर सुपरने सुचिर काल बाहमोक्ख करेइ । तपणं से धण्णे सत्थवाहे पंचहि पुत्तेहिं सद्धिं अप्पछट्टे चिलायं तीसे अग्गामियाए अडवीए सव्त्रओ समंता परिघाडेमाणे तपहाए छुहाए य परिभूए समाणे तसे अग्गामियाए अडवीए सव्वओ समता उद्गस्स भग्गणगवेसण करेइ, करिता सते तते परितते, णिचिन्ने, तोसे अग्गामियाए अडवीए उद्गस्स मग्गणगवेसण करेमाणे नो चेवणं उदग आसादेइ । तएण से धण्णे सत्थवाहे अप्पछडे उदग अणासाएमाणे जेणेव सुसुमा जीवियाओ ववरोविया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जेठ पुत्त धणदत्त सहावेइ, सद्दावित्ता एव वयासी - एव खलु पुत्ता । अम्हे सुसुमाए दारियाए अट्ठाए चिलाय तक्कर सव्वओ समता परिधाडेमाणा तण्हाए छुहाए य अभिभूया समाणा इमीसे अग्गामियाए अडवीए उदग्गस्स मग्गणगवेसण करेमाणा णो चेव ण उदगं आसादेमो, तपर्ण उद्ग, अणासाएमाणा णो सचाएमो रायगिह सपा तण्ण तामा
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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