________________
e
ताका
1
नारदो वदति - एव प्रक्ष्यमाणवकारेण सल दे देनानुमिय | जम्बूद्वीपे द्वीप भारते वर्षे हस्तिनापुरे नगरे पदस्य राम्रो दुहिता मूलत्या देव्या आत्मना पाण्डोः स्तुपा पञ्चाना पाण्डवाना भार्या द्रौपदी देवी रूपेण च यावद् उत्कृष्ट शरीरा वर्तते द्रौपः खलु देव्यास्यापि पादानुष्ठास्याय तनावरोध. वनात. पुरवर्तिनी काचिदपि देवी 'सतमपि कर शततमामपि कां नार्हति इति कृत्वा = एव ज्ञात्या कथयामि - द्रौपदीसदृशी नास्ति काचिदपीति । ततः नारदो गन्तुकाम कहते हैं कि हे देवानुप्रिय । सुनो-यात इस प्रकार है- (जनू दीवे दीवे भारहे वासे हविणारे दुवयस्स रण्णो घूया, चलणीए देवीए अत्तया पटुस्स सुण्डा, पचण्ड पडवाण भारिया दोवई देवी रूपेण य जाव उकिड सरा, दोवईए देवी निस्स वि पायगुहग्रस्स अय तन अवरोहो सय घ्नमपिकल पण अम्बई तिकड पउमणाभ आपुच्छह आपुच्छित्ता जाव पडि गए, तण से पमणा यो फच्छुडणारयस्म अतिए ण्यमहु सोच्चा णिसम्म दोवइए, देवीए वे यच्छिए४ दोवईए अलोववन्ने जेणेव पोस हसाला तेणेव उवागच्छइ) जबूद्वीप नाम के प्रथम द्वीप ( मध्य जबुडीप में) में भारतवर्ष में, हस्तिनापुर नाम के नगर में हुपद रोजा की पुत्री चुलनी देवी की आत्मजा, पांडु राजा की स्नुषा-पुत्रवधू -पाच पाडवों की भार्या द्रौपदी देवी है। यह रूप से यावत् उत्कृष्ट शरीर है। तुम्हारा यह अतःपुर उसके कटे हुए पैर के अगूठे के सौवें अश के बराबर અને ત્યારપછી કમ્બુલ તેમને કહેવા લાગ્યા કે હૈ દેવાનુપ્રિય ! સાભળે,
વાત એવી છે કે
( जबूद्दीवे दीवे भारहेवासे इत्थिगाउरे दुवयस्स रण्गो धूया, चूलणीए देवीए अतया पस्सू सुन्हा, पचण्ह पडवाण भारिया दोवई देवी रूत्रेण य जान उक्किसरी, दोवईए देवीए छिनस वि पायगुडस्त अप तत्र अवरोहो सयन्नमपि कण आईत्ति कट्टु पउमगाम खपुच्छ, आपुच्छिता जाव पडि गए, तण से पमणा राया कच्छुल्लगारयस्स अतिए एम सोच्चा जिसम्म दोवईए, देवीए रूवेय मुछिए ४ दोवईए अञ्झोववन्ने जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छर )
જમ્મૂ દ્વીપ નામના પ્રથમ દ્વીપમા ભારત વર્ષમા હસ્તિનાપુર નામે નગ રમા દ્રુપદ રાજાની પુત્રી ચૂવની દેવીની આત્મજા, પાડુ રાજાની સ્નુષા-પુત્રર્શ્વ પાચ પાડવાની પત્ની દ્રૌપદીદેવી છે તે રૂપથી યાવત્ ઉત્કૃષ્ટ શરીરવાળી છે તમારા આ રણવાસ તેના કપાયેલા અગૂઠાના સામા ભાગની ખરાખર પણ નથી. આ બધુ હુ વિચારપૂર્વક કહી રહ્યો છુ દ્રોપદી જેવી
પ