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मनगारधर्मामृतपरिणी टो० अ० १६ द्रौपदीचरितनिरूपणम्
४४१ सयाइं२ आवासाइ तेणेव उवा० तहेव जाव विहरति, तएणं से पंडराया हस्थिणाउरणयरं अणुपविसड अणुपविसित्ता कोडुबिय० सद्दावेइ सहावित्ता एव वयासी-तुम्भेण देवाणुप्पिया । विउल असण४ तहेब जाव उवणेति, तएण ने वासुदेवपामोक्खा वहवे राया पहाया कयवलिकम्मा तं विउल असणं४ तहेब जाव विहरति, तएणं से पंडुराया पच पडवे दोवडे च देवि पट्टयं दुरूहेइ दुरूहित्ता सेयपीएहिं कलतेहि पहाति पहावित्ता कल्लाणकारि करेइ करित्ता ते वासुदेवपामोस्खे बढे रायसहस्से विउलेण असण? पुप्फवस्थेणराबारेइ लम्माणेइ जावपडिविसज्जेइ, तएण ताइ वासुदेवपामोरखाइ बहहि जाव पडिगयाइ ॥ सू० २३ ॥
टीका-'तरण से ' इत्यादि । ततस्तदनन्तर खलु पाण्ड राजा तेपा वासुदेव प्रमुखाणा बहूना राजमहस्राणा रतलपरिगृहीत दशनख शिर आवर्त मस्तकेञ्जलि कृस्वा एवमवादी-एव खलु हे देवानुभिया ! हस्तिनापुरे नगरे पश्चाना पाण्डवाना द्रौपद्याश्च देव्या. कल्याणकरो भविष्यति तत्-तस्मात् यूय खलु हे देवानु मियाः-मामनुगृहत , अकालपरिहीन कालविलम्बरहित-शीघ्र समरसरत-आग
'तएण से पथराया इत्यादि।
टीकार्य-(तएण) इसके याट (से पहराया) उस पांडुराजा ने (तेसिं घासुदेव पामोक्खा ण) उन वासुदेव प्रमुख (पट्टण राय० करयल एव वयासी-एच खलु देवाणुप्पियो । शत्थिणाउरे नयरे पचण्ड पडवाण दोवाए देवीए कल्लाणकरे भविस्सइ त तुम्भे ण देवाणुप्पिया! मम
तएण से पडुराया इत्यारि
Artथ-( तएण ) त्या-५ (से पडूराया ) ते पाहु नये (वे सि वासुदेवपामोक्साण ) ते वासु। प्रभु __ (वरण राय यल एरवयासी-एव खलु देवाणुपिया! हत्यिणाउरे नयरे पचण्ह पडवाणे दोनाए, देवीए पल्लाणकरे भविस्सद त तुम्भेण देवाणुप्पिया ! मम अनुगिण्डमाणा अकालपरिहीणं समोसरह )