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________________ - - - ४१० बालाघमंकथाम आलोए पणाम करेइ २ ला, लोमहत्यय परामुमा • ता, जहा मृरियामो जिणपडिमाओ अन्चेइ तदेव भाणिजा धूम उड' नि । तेन मूल्पाठस्य निश्यत्तस्य नाभूरिति विशागते । अत' पर च-माम जाणु अर दारिण जाणु धरनियलगि णिसेइ २' इति प्रतिमापूजन यीनो मृल्पाटस्ता वर्तते, टीकाकारस्तु-'दाक्षिण जाणु धरणीतलसि निहट्ट' :ति पाट टोकाया पिलिय निगदति-निहट्ट' निहत्य स्थापपिनत्यर्थ', 'णिवेसेट ' उत्यन-निव' इति पाठभेद' क्तः । तेना प्येतद् विदित भाति-यस्य यादृश मनम्यभिरुचित स तामिह मूरपाठ पर ल्पयति स्म इति । जिणघर अणुपविसह जिगपडिमाण आलोग पगाम करेठ, २ लोमहत्यय परामुसह, २ एव जहालूरियामो जिनपडिमाओ अच्चे तहेच माणि यव्य जाब धूव इ" ति यह पाठ मिलता है । इसके बाद "वाम जाणु धरणियलनि णिवेसेड " ऐसा पाट मिलता है और यही पाठ प्रतिमा पूजको को समत है। परन्तु टीकाकार श्री अभयररि ने "दारिण जाणु धरणीतलसी निटूट 'ऐमा पाठ टीकामें रखकर 'निहट्टु' इस पद की टीका "स्थापना करके" ऐसी की है। इस प्रकार "णिवेमेइ" की जगह 'निहट्ट' ऐसा पाठ भेट किया गया है। इसी प्रकार प्रतिमा पूजको धारा स्वीकृत "तिम्खुत्तो मुद्धार्ण वरणियलसि नोड" इस मूल पाठ में भी परिवर्तन "नमेड किया पद में निवेशयति" इस रूप से कर दिया है। इससे यह बात निश्चित होती है कि जिस के मन पणाम करेइ, २ लोमहत्यय परामुसइ, २ एव जला सूरियामो जिनपडिमाओं अच्चेइ तहेव भाणियव्य जार धून उदइ ) त्ति, 21 भणे छे त्यारपछी “वाम जाणु धरणियल सि णिवेसेड २" આ જાતને પાઠ મળે છે અને એ જ પાઠ પ્રતિમા પ્રજાના તરફદારીઓને માટે समत ३५ छ परीश्री मलयवसूरिश " दाहिण जाणु धरणीवल सो निहटु” 24 तने। 18 मा ग " निहटु " २३॥ पहनी Astस्थापना शेने या प्रमाणे उगछे मारीत “णिवेसेइ" ना स्थान " निहटु " म जतनपा० से ४२वामा साच्या छ । नत प्रतिभा पूजना तहारी। 43 वीकृत (तिस्सुत्तो मुद्धाण धरणीतल सि नमेइ) मा भूगामा पy "नमेइ" यापहमा “निवेशयति "'t andनु 40 વર્તન કરી નાખ્યું છે આથી આ વાતની ખાત્રી થ ય છે કે જેના મનમાં જે પાઠ ગમે તેણે તે પ્રમાણે જ ફાવે તેમ પોતાની કલy; પામાં
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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