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________________ __७८ वर्ष की आयुमें आपका पडित-मरण हुआ जो आपके यशस्वी जीवन की यशफल्गी के समान था । अर्थात् यशस्वी पुरुपो के शिरोमणि थे । ___ आपके सुपुत्र श्रीमान् भागचंदजी सा गेल्डा भी कर्मठ कार्यकर्ता है । जैन एन्ड नेशनल सोसायटी के आप सदस्य एव पदाधिकारी रह चुके है-वर्तमानमें आप सोसायटीके सभापति है । गोसेवा और पाजरापोल के कार्य के लिये आप घर २ जाकर चंदा करने में सकोच महमूस नहीं करते और निगत आठेक वर्षों से आप मद्रास पाजरापोलके मत्री है और उसका बहुत ही विकास किया है । द्वितीय पुत्र श्री नेमचदजी स्वर्गवासी हुए है किन्तु आप भी औषधालय निमित्त दस्ट करके गये है। तृतीय पुत्र श्री खुशालचदजी व्यापार-कुशल है और कार्यमार सम्हाले हुए हैं। इस यागम प्रकाशन के लिये जन आपके पास डेप्यूटेशन पहुंचा तब इन सुपुत्रोंने उदारता से ५००१) रू दिये है एतदर्य धन्यवाद है। अन्य सज्जन भी उनका अनुकरण करे यही अभ्यर्थना है । सेकेट्री शास्त्रोद्धार समिति
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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