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गगारधर्मामृतवाणी टी० म०१६ द्रौपदीचरितवर्णनम् पर्यन्त बाध्यमित्यर्थ । एष द्रुपदो राजा पञ्चमक दूत शब्दयित्वा एवमगदीदगन्छ खलु व हस्तिशीपनगर, तर खल त्व दमदन्त-दमदन्तनामक राजान करतल्परिगृहीतदशनम्व यावन्मस्त केऽवलिं कृत्वा बहि-' तथैव यावत् समवसरत' इति पूर्ववदेवानापि 'समवसरत' इतिपर्यन्त वान्यम् एव स द्रुपदो राजा पाठ दूत शब्दयित्वाऽवादीत्-गच्छ खलु व मथुरा नगरी, तत्र ग्वलु त्व धर-परनामक राजान करतल० यावत् समवसरत' अनापि पूर्वदूतगमनादिक वोन्यम् , एव सप्तम दूत शब्दयित्वा एवमवदत्-गच्छ खलु त्व राजगृह नगरम् , तन मलु ल सहदेव जरासिन्युसुतु ' करतल० यावत् समवसरत' इति पूर्ववत्-द्रौपद्याः स्वयवरस्य पाती कथयित्वा 'काम्पिल्यपुरे नगरे समवमरत ' इति ब्रूहि । तपास द्रुपद राजा की पुत्री द्रौपदी का स्वयवर होने वाला है-सो आप कृपा करके शीघ्र ही वहा पधारें। (पचमग दूय हथिसीसनयर तत्व ण तुम दमदत राय करयल तहेव जाप समोसरह छट दूध महुर नयरिं तत्य ण तुम घर राय करयल जाव समोसरह सत्तम य रायगिह नयर तत्यण तुम सरदेर जरासिंधुसुय करयल जाव समोसरह, अट्टम दूय कोडिपणं नयर तत्यण तुम रुप्पि भेसगस्लुय करयल तहेव जाव समोसरह, नवम य विराडनघर तत्य णं तुम कीयग भाउसयसमग करयल जाव समोसरह, दसम दूध अवसेसेसु गामागरनगरेसु अणेगाइ रायसहरमाइ जाय समोसरह ) इसी तरह पाचवे द्त को हस्तिशीनगर में दमदन्त नाम के राजा के पास छठे दूत को मयुरा नगरी में धर राजा के पास, सातवे दूत को राजगृह नगर मे जरासिंधु के पुत्र सहदेव के पास દીને સ્વય વર થવાનું છે એથી તમે કૃપા કરીને અવિલ બ ત્યા પધારે (१चमग दूय हत्यधीसनयर तत्य ण तुम दमदत राय करयल तहेव जाव समोसरह उह दूय महुर नयार तयण तुम धर राय करयल जाव समोसरह खत्तम दूय रायगिह नयर तत्थ ण तुम सहदेव जरासिंधु सुय करयल जार समोसरह अदुम दृय कोहिण्ण नयर तत्यण तुम रूप्पि भेसगसुय करयल सहेव जाय समोसरह नवम दूय विराडनयर तत्य ण तुम कीया भाउसय समग करयल जाय समोसरह, दसम दूय अवसेसेसु गामागर नगरेमु अणेगाह रायसहस्साइ जाव समोसरह) मा प्रमाणे पायमा इतनताशी नारमा દમદન્ત નામના રાજાની પાસે, છઠ્ઠા દૂતને મયુરા નગરીમા ધર ગજાની પાસે,
સાતમા દ્વતને રાજગૃહ નગરમાં જરાસિંધુના પુત્ર સહદેવની પાસે, આઠમા - તને કૌડિન્ય નગરમા ભીષ્મકના પુત્ર રૂમિ રાજાની પાસે, નવમા દૂતને