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সাথায় ताम् उपनयनीकता पति, दृष्ट्वा पोष्टिलपा साढे पटक दर्गति, सुरुहा - सेय पीएहि ' श्वेतपीते ' रजतसुनर्गनिर्मित. 'कलमेहिं । पलो घटे आत्मान 'मज्जावेइ 'मजतिपयति, मज्जयित्वा अग्निसासिको विवाह उति हेतोः 'अग्गिहोम करावेइ ' अग्निहोम कारयति, कारयिता 'पाणिग्गरण ' पाणिग्रहण विवाह करोति, कत्वा पोहिल्या भार्यायाः 'मित्त गाइ नार परिनण' मित्र ज्ञातिस्वजनसमन्धिपरिजनम् विपुलेन अशनपान बायस्यायेन चतुर्विधाहारेण तेयलिपुत्ते पोटिल दारिय भारियत्ता उरणीय पासा, पामित्तो पोष्टि राए मद्वि पट्टय दुरूह ) तेतलिपुत्र अमात्य ने पोहित दारिका को अपनी भार्या म्प से अपने लिये प्रदान की दुई देना तो देप कर वह उस पोहिला दारिका के साप पटक पर बैठ गया। (दुहिता सेनरीह कलसेहि अपाण मज्जावेह, मजाविता अग्गिहोम करावेड, करावित्ता पाणिग्गरण करेइ करित्ता पोटिलाप भारिया मित्त गाइ जार परिजण विश्लेण असण पाण स्वाइम साइमेण पुष्फ जाव पटिसिज्जेड । तण्ण से तेयलिपुत्ते पोटिला भारिया अणुरते अविरत उरालाइ जाव विहरेह ) बैठ कर फिर उसने रजत एव सुवर्ण से निर्मित कलशों द्वारा अपना अभिषेक करपात्रा। अभिषेक करवा कर " अग्नि साक्षिक विवाह होता है " इस रयाल से फिर उसने अग्नि मे होम करवाया। करवा कर बाद में उसने उस पोहिला दारिका का पाणि ग्ररण कर लिया । विवाह हो चुकने के अनन्तर फिर उस तेतलि पुत्र अमात्य ने
(तएण तेयलिपुत्ते पोहिल दारिय भारियत्ताए उवणीय पासइ, पामित्ता पोहिलाए सद्धिं पट्टय दुरूहड)
તેતલિપુત્ર અમાત્યે પિટ્ટિવા દારિકાને તે રી ભાર્યા રૂપમાં આપેલી જોઈને તે પોદિયા દરિમની સાથે પઠ્ઠક ઉપર બેસી ગયો
(दुरुहित्ता सेयपीएहिं कलसेहि अपाण मज्जावेइ, मज्जावित्ता अग्गिहोम करावे करापित्ता पोटिलाए भारियाए मित्तणाइ जाव परिजण विउलेण असण पाण खाइम साइमेण पुष्फ जार पडिविसज्जेइ । तएण से तेयलिपुत्त पोट्टिलाए भारियाए अणुरते अविरत्ते उरालाइ जार विदरेइ) ।
બેસીને તેણે ચાદી અને નાના કળશે વો પિતાને અભિષેક કરાવડાવ્યે અભિષેક કરાવડાવીને તેણે ‘અનિ સાક્ષિક લગ્ન થાય છે' આમ વિચારીને તેણે અગ્નિમાં હવન કરાવડાવ્યો દયારપછી તેણે પોદિલા રિકાનું પાણિ ગ્રહણ કર્યું લગ્નની વિધિ પૂરી થયા બાદ ” અમા