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धर्मका
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मासीत्, पर्णफा=जरग नगरस्य वर्णनात बोभ्यम् । तत्र स्वच्छ पदो नाम राजाऽसीत्, कनीनाम्नी देवी मात्तस्य पुत्रः षट्ठ ज्जुणे' धृष्टद्युम्नो नाम कुमारी युवराजोऽगात् ।
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वतः खद्मा कुमारिका देवी सम्मा देवपादाग यावत्युवा व जीपेठीपे भारत पालेषु जनपदेषु पित्यपुरे नगरे पदस्य राजन्याव्या. कुक्षौ दतिया=पुत्रीम्पन 'पधायाया' माया याता=मुत्पना । तत गट साचुनीदेवी नाना मागानां पतिपुर्णाना या दारिया पुत्र नता=मननित | नत' खलु गातम्या दारिकाया कापिल्यपुर नाम का नगर था । ( घन्नओ) उस नगर का वर्णन औष पातिक सूत्र में किया गया है मन में जान लेना चाहिये | ( तत्थ ण दुबए नाम राया होन्या बन्नओ तस्म ण चुरणीदेयी, घट्टजुणे, कुमारे जुवराया, तण्ण मा समालिया दवी ताओ दलोयाओ आण्ण जाय चहत्ता इव जीवे दीये, मारते वासे पचास जणवर कपि ल्लपुरे नगरे दुवग्रस्म रण्णो चुलणी देवी कुच्छिसि दारियताए पच्चापाना) वहा के राजाका नाम पद था । राजाका वर्णन भी पहिले ,जैसा ही जानना चाहिये । इस की रानी का नाम, उलनीदेवी था । . कुमार का नाम धृष्टद्युम्न था-यर युवराज था । वरं सुकुमारिका आर्या का जीव उस दूसरे ईशान देवलोक से आयु आदि क्षय हो जाने के कारण चवकर इसी जबहीप नाम के द्वीप में भरत क्षेत्र में, पाचाल - जनपद में कांपिल्पपुर नगर में द्रुपद राजा की चुलनीदेवी की कुक्षि में पुत्री रूपसे अवतरित हुआ । (तएण सा चुलणीदेवी नवण्ह मासाण जाव बेवु लेहो ( तत्थ ण दुवए नाम राया होत्था, वन्नमो, तरसण चुलणी देवी धट्टज्जुणे कुमारे, जुवराया, तएण सा सूमालिया देवी ताओ देवलोयाओं आ उक्खण जाव चइत्ता इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे प चालेसु जणवए कपिल्ल पुरे नयरे दुवयस्स रण्णो चुरणीए देवीए कुच्छिमि दायित्ता पच्छायाया ) त्याना રાજાનુ નામ દ્રુપદ હેતુ નાજાનુ વર્ણન પણ ઔપપાતિક સૂત્રમા વણિત કોકિ -કુદ્ર રાજાની જેમજ જાણી લેવુ જોઇએ –તેની રાણીનુ નામ ચુલની દેવી હતું તેના ! પુત્રનુ નામ ધૃષ્ટઘમ્ન હતુ ધૃષ્ટદ્યુમ્ન યુવરાજ હના, સુકુમારિકા આર્યાના જીવ । તે ખાજા દેવલાકથી આયુ વગેરે ક્ષય થવા બદલ ચવીને આજ જમૂદ્રીપ नामना: द्वीपभा, भरत क्षेत्रमा, पायादय-नयहमा, पिट्यपुर नगरमा द्रु राजनी युसनी देवीना उरमा पुत्री इथे अवतरित थये। ( त एणं सा चुडणी
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