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अनगारधर्मामृतवपिणी टीका श्रु० २ ३०१ ० १ कालीदेवीवर्णनम् ७७५ कालिय दारिय सीयाओ पच्चोरहइ तएणं तकालिय दारिय अम्मापियरो पुरओ काउ जेणेव पासे अरहा पुरिसा० तेणेव उवागच्छ। उवागच्छित्ता वंदइ नमसइ वदित्ता नमसित्ता एवं वयाप्तीएव खल्लु देवाणुप्पिया । काली दारिया अम्ह धूया इट्टा कता जाव विमग पुण पासणयाए ', एसणं देवाणुप्पिया। ससार भउव्विगा इच्छइ देवाणुप्पियाणं अतिए मुडा भवित्ता जाव पव्वइत्तए, त एयं णं देवाणुप्पियाणं सिस्सिणिभिक्ख, दलयामो पडिच्छतु णं देवाणुप्पिया। सिस्सिणिभिक्ख, अहासुहं देवाणुप्पिया | मा पडिवधं करेह तएणं काली कुमारी पास अरह बदइ नमसइ वदित्ता नमंसित्ता उत्तरपुरस्थिस दिसिमार्ग अवकमइ अवकमित्ता सयमेव आभरणमल्लासकार ओमुयइ
ओमुइत्ता सयमेव लोय करेइ करित्ता जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेब उवागच्छइ उवागच्छित्ता पास अरह तिक्खुत्तो बदइ नमसइ वदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-आलित्ते ण भते । लोए एवं जाव सयमेव पवाविया, तएण पासे अरहा पुरिसादाणीए कालि सयमेव पुप्फचूलाए अज्जाए सिस्तिणियत्ताए दलयइ, तएण सा पुप्फचूला अज्जा कालि दारिय सयमेव पवावेइ, जाव उवसपज्जित्ताण विहरइ, तएणं सा काली अज्जा जाया ईरियासमिया जाव गुत्तवभयारिणी, तएणं सा काली अज्जा पुप्फचूलाए अनाए अतिए सामाइयमाइयाइ एक्कारस अगाइ अहिज्जइ बहूहि चउत्थ जाव विहरइ॥सू०३॥