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________________ अनगारधर्मामृतवर्षिणी टी० शु० २ ० १ ० १ कालीदेवीवर्णनम् तएण सा कालिया दारिया अम्मापिईहि अम्भणुन्नाया समाणी हट्ट जाव हियया पहाया कयवलिकम्मा कायकोउय मंगलपायच्छित्ता सुद्धप्पवेसाइ मगलाई वत्थाइ पवर परिहिया अप्पमहाग्घाभरणालकियसरीश चेडिया चक्कवालपरिकिष्णा साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता जेणेव वाहिरिया उवठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता धम्मिय जाणपवरं दूरूढा, तएण सा काली दारिया धम्मिय जाणपवर एवं जहा दोवड़ जाव पज्जुवासड, तरणं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालीए दारियाए तीसे य सहमहालया परिसाए धम्मं कहेइ, तरणं सा काली दारिया पासरस अरहओ पुरिसादार्णयिस्म अतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ट जाव हियया पास अरहं पुरिसादाणीयं तिक्खुतो बदइ नमसइ वदित्ता नमसित्ता एव व्यासी- सदहामि णं भते । णिग्गंथ पावयण जाव से जहेय तुम्भ वयह, ज णवरं देवाणुपिया | अम्मापियरो आपुच्छामि, तएण अह देवाणुपियाणं अतिए जाव पव्वयामि, अहासुह देवाणुप्पिए । तरण सा काली दारिया पासेण अरहया पुरिसादाणीएण एव वृत्ता समाणी हट्ट जान हियया पास अरह बदइ नम॑सः वदित्ता नर्मसित्ता तमेव धम्मिय जाणपवर दूरुहइ दूरुहित्ता पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतियाओ अवसालवणाओ चेइयाओ पडिनिक्समइ पडिनिक्खमित्ता जेणेव आमलकप्पा नयरी तेणेव GSo
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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